देहरादून। प्रदेश के राजकीय कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों को राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना (एसजीएचएस) के तहत गोल्डन कार्ड पर असीमित खर्च की कैशलेस इलाज सुविधा दी जा रही है। लेकिन योजना का खर्च अंशदान की तुलना में दोगुना बढ़ गया है, जिससे सूचीबद्ध अस्पतालों की देनदारी 80 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने स्वीकार किया कि योजना पर इलाज का खर्च तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों व पेंशनरों के लिए अधिक बजट का प्रावधान किया जाएगा ताकि योजना सुचारू रूप से चलती रहे।
पांच साल में बढ़ा खर्च:
- अंशदान प्राप्त: पिछले पांच वर्षों में कर्मचारियों व पेंशनरों से 510 करोड़ रुपये का अंशदान प्राप्त हुआ।
- खर्च: कैशलेस इलाज पर 700 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की गई।
- बढ़ती देनदारी: सूचीबद्ध अस्पतालों की देनदारी 80 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।
1.28 लाख कर्मचारियों और 91 हजार पेंशनरों को लाभ:
योजना के तहत 1,28,761 सेवारत कर्मचारियों और 91,390 पेंशनरों के कुल 4.79 लाख गोल्डन कार्ड बने हैं। योजना में असीमित खर्च की सुविधा है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों पर 30 लाख रुपये तक खर्च होने पर भी इसका पूरा भुगतान योजना से किया जाता है।
कैशलेस इलाज पर संकट:
यदि सरकार ने योजना का बजट नहीं बढ़ाया तो कैशलेस इलाज की सुविधा प्रभावित हो सकती है। लगातार बढ़ते खर्च को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग अब योजना के बजट में वृद्धि की तैयारी कर रहा है।