देहरादून। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) के तहत मरीजों के इलाज के नाम पर गलत दस्तावेज प्रस्तुत कर भुगतान प्राप्त करने का मामला सामने आने पर देहरादून स्थित प्राइमस अस्पताल पर कड़ी कार्रवाई की गई है। ट्रांजेक्शन मैनेजमेंट सिस्टम (टीएमएस) पोर्टल पर अस्पताल द्वारा लगाए गए क्लेम के ऑडिट में कई गंभीर खामियां पाए जाने के बाद राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने अस्पताल का अनुबंध निलंबित कर दिया है।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की जांच में सामने आया कि टीएमएस पोर्टल पर दर्ज दावों में लाभार्थी मरीज के उपचार करने वाले सर्जन के रूप में डॉ. अर्चना चौधरी का नाम दर्शाया गया, जबकि संबंधित मरीज का उपचार उनके द्वारा किया ही नहीं गया। गलत चिकित्सक का नाम दर्ज करना अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन और गंभीर अनियमितता माना गया है।
जांच में यह भी उजागर हुआ कि लाभार्थी मरीज का अनिवार्य बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण प्रस्तुत नहीं किया गया। इसके बावजूद मेडिकल सुपरिंटेंडेंट की स्वीकृति के आधार पर क्लेम दाखिल किए गए, जिन्हें नियमों के विरुद्ध पाया गया।
मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने अस्पताल प्रशासन को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अस्पताल प्रबंधन को पांच दिन के भीतर अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अपर निदेशक निखिल त्यागी ने नोटिस जारी करते हुए अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट से यह स्पष्ट करने को कहा है कि उन्होंने किस अधिकार और किन परिस्थितियों में संबंधित घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए।
प्राधिकरण ने साफ किया है कि यदि अस्पताल की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो प्राइमस अस्पताल के खिलाफ आगे और सख्त कार्रवाई की जाएगी।
