पोगठा गांव में इंसानियत शर्मसार, दुकानदारों से लेकर वाहन चालकों तक ने मोड़ा मुंह
चमोली/पोखरी। पुत्र पर हत्या का आरोप लगा, और माँ को भुगतना पड़ा सामाजिक बहिष्कार का दंश। यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि चमोली जिले के पोखरी ब्लॉक के पोगठा गांव की हकीकत है, जहाँ कमला देवी को सिर्फ इसलिए गांव से बेदखल-सा कर दिया गया, क्योंकि उसका बेटा हत्या के एक मामले में जेल में है।
कमला देवी का गुनाह बस इतना था कि वह उस हिमांशु की माँ है, जिस पर गत 11 नवंबर को उत्तम लाल की हत्या का आरोप है। बेटे की गिरफ्तारी के बाद गांव में पंचायत हुई और फैसला सुनाया गया — इस परिवार से कोई संबंध नहीं रखेगा।
बाजार से सामान नहीं दिया गया, सार्वजनिक वाहन में बैठने से रोका गया, जंगल तक जाना भी वर्जित कर दिया गया। मानो एक माँ को उसके अस्तित्व से काट दिया गया हो।
“मेरा बेटा जेल में है, मामला अदालत में है, लेकिन मुझे क्यों सजा दी जा रही है?”
5 जून को कमला देवी ने अपनी गुहार एसडीएम पोखरी अबरार अहमद तक पहुंचाई। उन्होंने तहसील सभागार में बैठक बुलाई। सख्त शब्दों में कहा — “हम लोकतांत्रिक देश में हैं, जहां हर व्यक्ति को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है। यह अधिकार कोई नहीं छीन सकता।”
एसडीएम की बातों ने ग्रामीणों के हृदय को छुआ। बैठक में मौजूद ग्रामवासी, व्यापार मंडल, टैक्सी यूनियन, पुलिस और पंचायत प्रतिनिधियों ने सकारात्मक रुख दिखाते हुए सामाजिक बहिष्कार समाप्त करने की सहमति जताई।
जल्द होगी गांव में पुनः बैठक, जिसमें तहसीलदार की अध्यक्षता में ग्रामीणों के समक्ष पीड़ित परिवार को सम्मानपूर्वक पुनः गांव की मुख्यधारा में जोड़ा जाएगा।