उन्नाव रेप केस: कुलदीप सेंगर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, सजा निलंबन पर लगाई रोक

खबर शेयर करें

नई दिल्ली: उन्नाव रेप मामले में दोषी और पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी, जिसमें सेंगर की सजा को निलंबित (सस्पेंड) किया गया था। इस फैसले के साथ ही सेंगर के जेल से बाहर आने की संभावनाएं फिलहाल खत्म हो गई हैं।

गौरतलब है कि हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर की सजा निलंबित की थी, हालांकि रेप पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में मिली दूसरी उम्रकैद के कारण वह जेल से बाहर नहीं आ सका था। हाई कोर्ट के इस आदेश को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

यह भी पढ़ें 👉  हल्द्वानी: काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर वेंडर शॉप आवंटन में पक्षपात का आरोप, निष्पक्ष जांच की मांग

‘लोक सेवक’ की परिभाषा पर उठे सवाल
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि दिल्ली हाई कोर्ट ने यह मानकर गलती की कि घटना के समय विधायक रहे सेंगर को ‘लोक सेवक’ नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा कि यह मामला एक नाबालिग (15 वर्ष 10 माह) के साथ किए गए जघन्य अपराध से जुड़ा है, जिसमें IPC की धारा 376 और पॉक्सो एक्ट की धारा 5 की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

मेहता ने कहा कि भले ही इसे IPC की धारा 376(2)(i) के तहत न देखा जाए, लेकिन पॉक्सो कानून और प्रभावशाली स्थिति (Dominant Position) के कारण यह अत्यंत गंभीर अपराध है।

यह भी पढ़ें 👉  दिल्ली बनी गैस चैंबर: AQI 400 के पार, GRAP-3 लागू, निर्माण से लेकर वाहनों तक सख्त पाबंदियां

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की तीन सदस्यीय पीठ ने की। पीठ ने कहा कि फिलहाल हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाना आवश्यक है। ‘लोक सेवक’ की परिभाषा और अन्य कानूनी बिंदुओं पर बाद में विस्तार से विचार किया जाएगा।

कोर्ट ने टिप्पणी की,“आम तौर पर यदि कोई व्यक्ति रिहा हो चुका हो तो अदालत उसकी स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं करती, लेकिन यह मामला विशिष्ट है क्योंकि आरोपी पहले से ही एक अन्य मामले में जेल में बंद है।”

हाई कोर्ट के फैसले के बाद हुआ था विरोध
23 दिसंबर को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा सजा निलंबित किए जाने के बाद से ही फैसले का तीखा विरोध हो रहा था। रेप पीड़िता, उसकी मां और सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना सुप्रीम कोर्ट के बाहर धरने पर बैठी थीं और सेंगर की जमानत रद्द करने की मांग कर रही थीं। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट परिसर के बाहर प्रदर्शन के चलते भारी पुलिस बल तैनात किया गया था।

यह भी पढ़ें 👉  प्रवासियों को राज्य में निवेश के लिए प्रेरित करेगी सरकार, दून में 12 जनवरी को होगा सम्मेलन

दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सेंगर 7 साल 5 महीने जेल में बिता चुका है, इसलिए उसकी शेष सजा निलंबित की जाती है। सेंगर ने दिसंबर 2019 में निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के बाद पूर्व विधायक को फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है।