वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में विदेश नीति को नए सिरे से आकार देने की दिशा में अहम फैसला लिया है। ट्रंप प्रशासन ने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में नियुक्त करीब 30 से अधिक देशों में तैनात अमेरिकी राजदूतों और वरिष्ठ दूतावास अधिकारियों को उनके पदों से हटाते हुए वाशिंगटन वापस बुलाने का निर्णय किया है।
प्रशासन के इस कदम को ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत बड़ा कूटनीतिक फेरबदल माना जा रहा है। माना जा रहा है कि विदेश नीति में व्यापक बदलाव की तैयारी के तहत ऐसे राजनयिकों को हटाया जा रहा है, ताकि उनकी जगह उन अधिकारियों को नियुक्त किया जा सके जो राष्ट्रपति की प्राथमिकताओं और नीतिगत एजेंडे के अनुरूप हों।
विदेश विभाग के सूत्रों के अनुसार, बीते सप्ताह कम से कम 39 देशों में तैनात अमेरिकी राजदूतों को सूचित किया गया कि जनवरी में उनकी मौजूदा जिम्मेदारियां समाप्त कर दी जाएंगी। बुधवार से संबंधित राजनयिकों को वाशिंगटन की ओर से औपचारिक नोटिस मिलने शुरू हो गए हैं।
हालांकि, अमेरिकी व्यवस्था में राजदूत राष्ट्रपति की इच्छा पर कार्य करते हैं, लेकिन सामान्यतः उनका कार्यकाल तीन से चार वर्ष का होता है। ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से प्रभावित राजनयिकों की विदेश सेवा समाप्त नहीं होगी। वे वाशिंगटन लौटकर विदेश विभाग में अन्य पदों पर सेवाएं दे सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला ट्रंप प्रशासन की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत अमेरिका की विदेश नीति को अधिक सख्त, सक्रिय और राष्ट्रहित-केंद्रित बनाने की कोशिश की जा रही है।
