हल्द्वानी/रुद्रपुर। उत्तराखंड सरकार चाहे भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के लाख दावे करे, मगर जमीनी हालात सरकार की नीयत पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं। ऊधमसिंह नगर जिले में टैक्स चोरी का जाल इस कदर फैल चुका है कि रोजाना करोड़ों रुपये का राजस्व पानी की तरह बह रहा है, और राज्य कर विभाग के अफसर आंख मूंदे बैठे हैं।
जानकारी के मुताबिक रुद्रपुर, किच्छा और काशीपुर में दिल्ली-बरेली से प्रतिदिन हजारों क्विंटल माल बिना बिल-बिल्टी के धड़ल्ले से पहुंच रहा है। किराना, कपड़े, जूते, कॉस्मेटिक्स से लेकर तंबाकू तक हर चीज़ पर टैक्स की खुलेआम हेराफेरी हो रही है। बताया जाता है कि जो नग 200 रुपये भाड़ा (किराया) देकर बिल और बिल्टी के साथ आता है, वही बिना बिल और बिल्टी के 1000 से 2000 रुपये भाड़ा (किराया) देकर लाया जाता है। गुटके जैसे प्रतिबंधित उत्पादों का खेल तो और भी बड़ा है—20 किलो के एक कट्टे पर 1000 रुपये तक का अवैध भाड़ा वसूला जा रहा है।
सूत्र बताते हैं कि यह पूरा गोरखधंधा राज्य कर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी की शह पर फल-फूल रहा है। विभाग के भीतर से ही टैक्स माफियाओं को संरक्षण मिल रहा है। स्थानीय ट्रांसपोर्टर, व्यापारी मोटा मुनाफा कमा रहे हैं, जबकि सरकार का खजाना रोजाना करोड़ों का नुकसान झेल रहा है।
हैरानी की बात यह है कि शासन-प्रशासन को इस संगठित टैक्स चोरी की पूरी जानकारी है। बावजूद इसके, अब तक न तो किसी बड़े कारोबारी पर कार्रवाई हुई है और न ही विभागीय अधिकारी पर। सवाल यह है कि आखिर किसके इशारे पर ऊधमसिंह नगर में यह ‘खुला डाका’ जारी है? जनता जानना चाहती है कि सरकार की भ्रष्टाचार पर शून्य-सहनशीलता की नीति सिर्फ कागज़ी बयान है या इस पर वाकई अमल होगा।