भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 19 जून 2025 को अंतरिक्ष के लिए होंगे रवाना, ISRO, SpaceX और Axiom Space ने दी मिशन को हरी झंडी

खबर शेयर करें

नई दिल्ली। भारत के लिए अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक कदम तय हो गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), अमेरिकी अंतरिक्ष कंपनियां Axiom Space और SpaceX के साथ हुई अहम बैठक में Ax-04 मिशन की लॉन्चिंग को मंजूरी दे दी गई है। अब भारतीय वायुसेना के पायलट और इसरो के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 19 जून 2025 को अंतरिक्ष के लिए रवाना होंगे।

इस बहुप्रतीक्षित मिशन की लॉन्चिंग अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित नासा के केनेडी स्पेस सेंटर से फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए की जाएगी। इससे पहले फाल्कन 9 में लिक्विड ऑक्सीजन लीकेज की तकनीकी समस्या सामने आई थी, जिसके चलते मिशन को अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया था। हालांकि अब SpaceX के इंजीनियरों ने इस खामी को पूरी तरह ठीक कर लिया है।

यह भी पढ़ें 👉  मुंबई से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट तकनीकी खराबी और एयरस्पेस प्रतिबंध के चलते लौटी वापस

Ax-04 मिशन ISRO, Axiom Space और SpaceX का संयुक्त प्रयास है। इस मिशन के दौरान शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा करेंगे और भारत द्वारा डिजाइन किए गए सात वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देंगे। इसके अलावा वे NASA के साथ मिलकर साझा अनुसंधान कार्यक्रम में भी भाग लेंगे।

यह भी पढ़ें 👉  भारत के अंतरिक्ष मिशन को मिली नई गति, केंद्र सरकार ने चंद्रयान-5 को दी मंजूरी

इस ऐतिहासिक मिशन को भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन कार्यक्रम के अगले चरण के रूप में देखा जा रहा है। शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने वाले भारत के गिने-चुने अंतरिक्ष यात्रियों में शामिल हो जाएंगे।

इधर, Axiom Space और NASA अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के Zvezda सर्विस मॉड्यूल में पाई गई दबाव असमान्यता पर निगरानी बनाए हुए हैं। हालांकि यह समस्या Ax-04 मिशन से संबंधित नहीं है, लेकिन यह अंतरिक्ष मिशनों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सुरक्षा की प्राथमिकता को दर्शाती है।

यह भी पढ़ें 👉  शिमला में दर्दनाक हादसा... खाई में गिरी कार, मां-बेटी समेत चार की मौत

Ax-04 मिशन Axiom Space की उस दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है, जिसके तहत वह भविष्य में दुनिया का पहला वाणिज्यिक अंतरिक्ष स्टेशन विकसित करने की दिशा में कार्यरत है।

यह मिशन भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं और वैश्विक साझेदारी में उसकी भूमिका को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।