नई दिल्ली। ‘कैश कांड’ मामले में घिरे इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की दिशा में कदम तेज हो गए हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को एक तीन सदस्यीय उच्च-स्तरीय जांच समिति के गठन की घोषणा की, जो जस्टिस वर्मा पर लगे गंभीर आरोपों की जांच करेगी।
समिति में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार, राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनिंदर मोहन श्रीवास्तव और वरिष्ठ कानूनविद बी.वी. आचार्य को शामिल किया गया है। यह पैनल आरोपों की जांच कर अपनी रिपोर्ट सदन को सौंपेगा, जिसके आधार पर महाभियोग प्रस्ताव पर आगे की कार्रवाई होगी।
मामला 14 मार्च 2025 को तब सुर्खियों में आया था, जब जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास में आग लगने के बाद भारी मात्रा में जली हुई नकदी बरामद हुई थी। उस समय वे दिल्ली हाईकोर्ट में कार्यरत थे, जिसके बाद उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया।
पिछले महीने कांग्रेस, बीजेपी, जेडीयू और टीडीपी सहित कई दलों के सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपकर महाभियोग प्रस्ताव लाने की मांग की थी। इससे पहले, आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की थी।