अल्मोड़ा। नगर क्षेत्र में कृत्रिम रूप से छोड़े जा रहे बंदरों की समस्या पर प्रशासन की चुप्पी और अधिकारियों के कथित अभद्र व्यवहार को लेकर शनिवार को सामाजिक कार्यकर्ता संजय कुमार पाण्डे और नगर निगम रामशिला वार्ड के पार्षद नवीन चंद्र आर्य ने जिलाधिकारी आलोक कुमार पाण्डे से मुलाकात की।
प्रतिनिधियों ने 11 अप्रैल को सौंपे गए ज्ञापन पर अब तक कोई कार्यवाही न होने पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन आम जनता और जनप्रतिनिधियों की पीड़ा के प्रति उदासीन हो गया है।
एडीएम पर असम्मानजनक व्यवहार का आरोप
प्रतिनिधियों के अनुसार, 11 अप्रैल को जिलाधिकारी के अवकाश पर होने के कारण उन्हें अपर जिलाधिकारी से मिलने के लिए कहा गया। लेकिन वहां उन्हें कथित रूप से यह कहते हुए टाल दिया गया कि— “तो बोलिए, क्या बोलना है? हमारे पास समय नहीं है।” इसके बाद जब वे मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) से मिलने पहुंचे तो उन्हें 15 मिनट इंतजार करवाया गया और अंततः कहा गया कि वे व्यस्त हैं। प्रतिनिधियों का ज्ञापन भी स्वीकार नहीं किया गया।
“सामाजिक कार्यकर्ता भी सम्मान के हकदार” — पार्षद आर्य
पार्षद नवीन चंद्र आर्य ने जिलाधिकारी से स्पष्ट शब्दों में कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता अलग भूमिका निभाते हैं और दोनों को समान रूप से सम्मान मिलना चाहिए। उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाया कि वह नियमों की आड़ में सामाजिक कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर रहा है, जो अनुचित है।
“प्रशासन बना है मूकदर्शक” — संजय पाण्डे
सामाजिक कार्यकर्ता संजय कुमार पाण्डे ने कहा कि एक माह पूर्व दिए गए ज्ञापन पर कोई कार्रवाई न होना प्रशासन की निष्क्रियता को दर्शाता है। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया।
प्रमुख माँगें:
11 अप्रैल को सौंपे गए ज्ञापन पर त्वरित और लिखित कार्रवाई की जाए।
अधिकारियों के असंवेदनशील और अमर्यादित व्यवहार पर कार्रवाई हो।
बंदरों की समस्या के स्थायी समाधान के लिए कार्ययोजना तैयार की जाए।
उच्चस्तरीय शिकायत की चेतावनी
प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र न्यायोचित कार्रवाई नहीं हुई, तो पूरा प्रकरण मुख्यमंत्री, राज्यपाल और केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों को सौंपा जाएगा।