धामी सरकार की ऐतिहासिक पहल…गढ़वाली–कुमाऊँनी–जौनसारी भाषा को मिलेगी AI की जुबान, सिएटल और कनाडा से हुआ ‘भाषा AI पोर्टल’ लॉन्च

खबर शेयर करें

देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड की लोकभाषाओं गढ़वाली, कुमाऊँनी और जौनसारी को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से जोड़ने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। अमेरिका के सिएटल और कनाडा के सरे-वैंकूवर में “भाषा डेटा कलेक्शन पोर्टल (Bhasha AI Portal)” का भव्य शुभारंभ हुआ।

इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वीडियो संदेश के माध्यम से कहा कि यह पहल राज्य की सांस्कृतिक अस्मिता को डिजिटल युग से जोड़ने वाला युगांतकारी प्रयास है। उन्होंने कहा “जब तक हमारी भाषा जीवित है, हमारी संस्कृति जीवित है। उत्तराखंड सरकार मातृभाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए सदैव प्रतिबद्ध है और इस ऐतिहासिक पहल में पूरा सहयोग करेगी।”

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड में बिजली महंगी होने की तैयारी, यूपीसीएल ने 12% बढ़ोतरी का प्रस्ताव भेजा

इस पोर्टल के माध्यम से गढ़वाली, कुमाऊँनी और जौनसारी भाषाओं के लगभग दस लाख शब्द, वाक्य, कहावतें और कहानियाँ एकत्र की जाएँगी, ताकि AI प्लेटफ़ॉर्म इन भाषाओं में संवाद करना सीख सके। यह प्रयास लोकभाषाओं को आधुनिक तकनीक के माध्यम से वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

प्रवासी उत्तराखंडियों की रही ऐतिहासिक भागीदारी
यह लॉन्च Devbhoomi Uttarakhand Cultural Society Canada द्वारा आयोजित भव्य कार्यक्रम में हुआ, जिसमें चार हजार से अधिक प्रवासी उत्तराखंडी भाई-बहन शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी का वीडियो संदेश, पद्मश्री लोकगायक प्रीतम भारतवाण, AI आर्किटेक्ट सचिदानंद सेमवाल, समाजसेवी अमित कुमार, सोसाइटी अध्यक्ष बिशन खंडूरी और भारत दूतावास के प्रतिनिधि विशेष रूप से मौजूद रहे।

यह भी पढ़ें 👉  पर्यावरण संरक्षण को लेकर जीवन चेतना फाउंडेशन की अनोखी पहल

पद्मश्री प्रीतम भारतवाण ने कहा, “भाषा बचेगी तो संस्कार भी बचेंगे। यह पहल हमारी पहचान को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने का ऐतिहासिक कदम है।” AI विशेषज्ञ सचिदानंद सेमवाल ने कहा, “यह केवल तकनीकी परियोजना नहीं, बल्कि हमारी जड़ों से जुड़ने का सामाजिक आंदोलन है।”

कनाडा और अमेरिका में खुलेंगे AI सक्षम भाषा शिक्षण केंद्र
कार्यक्रम के दौरान Devbhoomi Uttarakhand Cultural Society Canada ने घोषणा की कि कनाडा और अमेरिका में ‘AI सक्षम भाषा शिक्षण केंद्र’ स्थापित किए जाएँगे। यहाँ प्रवासी बच्चे आधुनिक तकनीक के माध्यम से गढ़वाली, कुमाऊँनी और जौनसारी भाषाएँ सीख सकेंगे। ये केंद्र पद्मश्री प्रीतम भारतवाण की जागर अकादमी से संबद्ध होंगे।

यह भी पढ़ें 👉  हाईकोर्ट के आदेश पर शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला, प्रवक्ताओं से वसूली गई वेतनवृद्धि होगी वापस

इस अवसर पर सोसाइटी के पदाधिकारी शिव सिंह ठाकुर, विपिन कुकरेती, उमेद कठैत, जगदीश सेमवाल, गिरीश रतूड़ी, रमेश नेगी, जीत राम रतूड़ी, विनोद रौंतेला सहित अनेक गणमान्य प्रवासी उत्तराखंडी मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह प्रयास उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को नई पहचान देगा और डिजिटल इंडिया के विज़न को मजबूत करेगा। “यह पहल केवल तकनीकी नहीं, बल्कि हमारी पहचान और लोकविरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने का एक जन आंदोलन है।”

You cannot copy content of this page