हल्द्वानी। अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक शर्मा ने केंद्र की मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार ने तथाकथित “सुधारों” के नाम पर देश की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना मनरेगा को व्यावहारिक रूप से खत्म कर दिया है। रविवार को कांग्रेस मुख्यालय स्वराज आश्रम, हल्द्वानी में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि यह कदम महात्मा गांधी की सोच, ग्राम स्वराज और गरीबों के काम के अधिकार पर सीधा हमला है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने मनरेगा से न सिर्फ गांधी का नाम हटाया, बल्कि करीब 12 करोड़ मजदूरों के अधिकारों को भी कुचल दिया है। उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों से मनरेगा ग्रामीण गरीबों के लिए जीवनरेखा रही है और कोविड-19 महामारी के दौरान इस योजना ने करोड़ों परिवारों को आर्थिक सुरक्षा दी थी।
आलोक शर्मा ने कहा कि वर्ष 2014 के बाद से मोदी सरकार लगातार मनरेगा को कमजोर कर रही है। बजट में कटौती, राज्यों के फंड रोकना, जॉब कार्ड हटाना और आधार आधारित भुगतान को अनिवार्य कर करीब सात करोड़ मजदूरों को योजना से बाहर कर दिया गया। इसके चलते पिछले पांच वर्षों में मनरेगा के तहत औसतन 50–55 दिन का ही रोजगार मिल पाया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि नया ढांचा मनरेगा को अधिकार आधारित योजना से एक शर्तों वाली, केंद्र नियंत्रित स्कीम में बदल देता है। पहले जहां यह संविधान के अनुच्छेद 21 से जुड़ा काम का अधिकार था, अब इसे केंद्र की मर्जी पर निर्भर प्रशासनिक सहायता बना दिया गया है। कांग्रेस ने इसे गरीबों से किया गया संवैधानिक वादा वापस लेने जैसा कदम बताया।
कांग्रेस प्रवक्ता ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार अब मनरेगा के खर्च का बड़ा बोझ राज्यों पर डालना चाहती है, जबकि नियम, ब्रांडिंग और श्रेय केंद्र अपने पास रखेगा। उन्होंने इसे संघीय ढांचे के खिलाफ बताया। साथ ही रोजगार की मांग आधारित प्रकृति को खत्म कर सीमित आवंटन प्रणाली लागू करने को ग्रामीण मजदूरों के लिए खतरनाक करार दिया।
प्रेस वार्ता में नेशनल हेराल्ड मामले का जिक्र करते हुए आलोक शर्मा ने कहा कि यह केस पूरी तरह राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित था, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि बीते वर्षों में ED, CBI और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों का विपक्ष को डराने के लिए दुरुपयोग किया गया। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की मांग की।
उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस इस जनविरोधी, मजदूर विरोधी और संघीय ढांचे पर हमले के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक संघर्ष जारी रखेगी।
प्रेस वार्ता में हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश, महानगर कांग्रेस अध्यक्ष एडवोकेट गोविंद सिंह बिष्ट, जिलाध्यक्ष राहुल चिमवाल, महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष खष्टी बिष्ट सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
