उत्तरकाशी। खीर गंगा में 5 अगस्त को आई भीषण तबाही के सात दिन बीत जाने के बाद भी चुनौती जस की तस बनी हुई है। गंगोत्री धाम, हर्षिल और धराली के लोग अब भी जिला मुख्यालय से कटे हुए हैं। कई लोगों का कोई सुराग नहीं लग पाया है। राहत-बचाव अभियान नदी के बढ़ते जलस्तर और चरमराई संचार व्यवस्था के कारण बार-बार प्रभावित हो रहा है।
आपदा के बाद डबरानी से आगे गंगोत्री हाईवे पर यातायात पूरी तरह ठप है। कई स्थानों पर सड़क बुरी तरह क्षतिग्रस्त होने से धराली तक पहुंचने का एकमात्र साधन 30 किमी का दुर्गम पैदल मार्ग ही बचा है। खड़ी पहाड़ी चढ़ाई, टूटी पगडंडियां और बीच-बीच में मलबे के ढेर बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं के लिए सफर को और मुश्किल बना रहे हैं।
राहत कार्य में सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, एसडीआरएफ, पुलिस और आपदा प्रबंधन की क्यूआरटी जुटी हुई हैं। चिनूक, एमआई-17 और आठ अन्य हेलीकॉप्टरों की मदद से अब तक 1,278 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया है। इनमें सात गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं, जिन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कर चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया है।
प्रभावित गांवों में राहत शिविरों के जरिए भोजन, स्वास्थ्य परीक्षण और दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। अब तक 43 लोगों के लापता होने की पुष्टि हुई है। धराली गांव के एक युवक का शव बरामद किया गया है, जबकि लापता 24 नेपाली मजदूरों के परिजनों से संपर्क साधा जा रहा है।
शासन ने राहत स्वरूप 98 प्रभावित परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की है। लिम्चागाड में बहे पुल की जगह बैली ब्रिज बनाकर यातायात बहाल किया गया है। डबरानी से सोनगाड तक गैस सिलेंडरों की आपूर्ति खच्चरों के माध्यम से की जा रही है, मगर धराली-हर्षिल के लोगों के लिए 30 किमी का पैदल सफर अब भी सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है।

