उत्तराखंड: ग्लेशियर झीलों में लगेगा सेंसर, 30 करोड़ का प्रस्ताव एनडीएमए को भेजा

खबर शेयर करें

देहरादून। राज्य की संवेदनशील ग्लेशियर झीलों की निगरानी के लिए अब सेंसर लगाए जाएंगे। आपदा प्रबंधन विभाग ने इसके लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) को 30 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा है। इस साल राज्य की पांच झीलों का अध्ययन कराने की भी योजना है, जिससे उनकी वर्तमान स्थिति का आकलन किया जा सके।

यह भी पढ़ें 👉  अब सड़क दुर्घटना पीड़ितों को मिलेगा 'कैशलेस' इलाज, मार्च से लागू होगी योजना

राज्य में 13 ग्लेशियर झीलें चिन्हित की गई हैं, जिनमें से पांच झीलें अधिक संवेदनशील पाई गई हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) ने इन झीलों का विस्तृत अध्ययन कराने का फैसला किया है। पिछले साल चमोली जिले की वसुंधरा ताल का अध्ययन किया गया था, जबकि इस बार पिथौरागढ़ जिले की चार झीलों और गंगोत्री के आगे स्थित केदारताल का अध्ययन किया जाएगा।

यह भी पढ़ें 👉  भारतीय सेना का करारा प्रहार: 'ऑपरेशन सिंदूर' में मसूद अजहर का ठिकाना तबाह, परिवार के 10 सदस्यों की मौत

आपदा प्रबंधन विभाग का कहना है कि झीलों में सेंसर लगाने से जल स्तर और अन्य परिवर्तनों पर नजर रखी जा सकेगी, जिससे किसी भी आपदा की आशंका को समय रहते भांपा जा सके। झीलों में बदलाव आने पर तत्काल सुरक्षात्मक कदम उठाए जा सकेंगे।

आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि राज्य की ग्लेशियर झीलों की निगरानी के लिए एनडीएमए को 30 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा गया है। इसके तहत झीलों पर अत्याधुनिक सेंसर लगाए जाएंगे, जिससे समय-समय पर डेटा प्राप्त किया जा सके और किसी भी संभावित खतरे से पहले ही निपटा जा सके।