हल्द्वानी/देहरादून। उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग में अधिकारियों की मनमानी अब नहीं चलेगी। प्रभारी महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, सुनीता टम्टा ने विभाग में चल रही बिना अनुमति के सम्बद्धीकरण की प्रथा पर बड़ा एक्शन लिया है। उन्होंने मंडल और जनपद स्तर पर अधिकारियों द्वारा अपने स्तर से किए गए सभी सम्बद्धीकरण आदेशों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है।
यह सख्त फैसला स्वास्थ्य मंत्री के पूर्व आदेशों की अनदेखी को देखते हुए लिया गया है। आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि सिर्फ दो स्थानों – उप जिला चिकित्सालय रामनगर और सीएचसी हल्दूचौड़ – को अस्थायी रूप से छूट दी गई है, बाकी सभी सम्बद्धीकरण अब अवैध माने जाएंगे।
बिना अनुमति के आदेशों पर ब्रेक
महानिदेशक ने दो टूक कहा है कि मंत्री स्तर से पहले ही निर्देश जारी हो चुके थे कि सम्बद्धीकरण जैसे फैसले बिना शासन की अनुमति के नहीं किए जाएं, लेकिन इसके बावजूद कुछ अधिकारियों ने अपने स्तर से आदेश जारी कर दिए। इसे उच्चाधिकारियों की अवहेलना माना गया है और अब इस पर ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत कार्रवाई की जाएगी।
अब बिना प्रस्ताव नहीं होगा सम्बद्धीकरण
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी विशेष परिस्थिति में सम्बद्धीकरण आवश्यक हो, तो संबंधित अधिकारी को उसका विस्तृत प्रस्ताव महानिदेशालय को भेजना अनिवार्य होगा। तब तक कोई भी सम्बद्धीकरण मान्य नहीं होगा।
वेतन भी मूल तैनाती पर ही
जुलाई 2025 से सम्बद्ध कार्मिकों का वेतन भी उनके मूल तैनाती स्थल पर योगदान के बाद ही जारी किया जाएगा। इसके लिए सभी आहरण एवं वितरण अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं।
विभागीय गलियारों में हड़कंप
महानिदेशक के इस आदेश के बाद विभागीय गलियारों में खासी हलचल है। जहां एक ओर यह निर्णय पारदर्शिता और अनुशासन की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है, वहीं इससे उन अधिकारियों में हड़कंप मचा है, जो अब तक अपने स्तर पर मनमाने आदेश जारी कर रहे थे। प्रभारी महानिदेशक ने साफ शब्दों में कहा है कि इस आदेश का उल्लंघन किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
