उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में 26 दिन से जारी धरना-प्रदर्शन के बाद शासन की सख्त कार्रवाई
देहरादून। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में पिछले 26 दिनों से चल रहे शिक्षक, चिकित्सक व कर्मचारियों के धरना-प्रदर्शन ने आखिरकार रंग ला दिया है। आंदोलन के दबाव में शासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति और कुलसचिव सहित कई अधिकारियों का वेतन रोक दिया है। साथ ही कर्मचारियों के लंबित देयों और आवश्यक सुविधाओं के लिए 13 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है।
शासन ने विश्वविद्यालय में पूर्व में हुई विभागीय पदोन्नतियों को नियमविरुद्ध पाते हुए तत्काल निरस्त कर दिया है। वहीं, पूर्व कुलपति प्रो. सुनील जोशी के कार्यकाल में की गई संविदा नियुक्तियों की भी जांच शुरू हो गई है। जांच में अनियमितता पाए जाने पर कई संविदा कर्मियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं।
हरिद्वार स्थित ऋषिकुल और गुरुकुल परिसरों में तैनात कई प्रोफेसरों पर भी कार्रवाई की गाज गिरी है। विश्वविद्यालय में लंबे समय से व्याप्त अव्यवस्थाओं और मनमानी नियुक्तियों को लेकर कर्मचारियों ने एकजुट होकर आंदोलन छेड़ दिया था, जिसके चलते प्रशासन और शासन दोनों को कठोर कदम उठाने पड़े।
आंदोलनरत कर्मचारी संगठनों ने शासन के इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे सत्य की जीत और संघर्ष का परिणाम बताया है। विश्वविद्यालय प्रशासन में मचे इस भूचाल के बाद अब अन्य विभागों में भी जवाबदेही तय होने की उम्मीद जताई जा रही है।