तेरहवीं के रायते से फैली दहशत…सैकड़ों लोगों ने लगवाया एंटी रेबीज टीका, डॉक्टरों ने बताया डर बेबुनियाद

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बदायूं। उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले से एक अजीबो-गरीब और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां तेरहवीं के भोज में परोसे गए रायते को लेकर पूरे गांव में दहशत फैल गई। रायता खाने वाले सैकड़ों लोग रेबीज के डर से अस्पताल पहुंच गए और एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने की होड़ मच गई। हालात ऐसे बने कि सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियों को अलग काउंटर तक बनाना पड़ा, जबकि कई लोग निजी अस्पतालों की ओर दौड़ पड़े।

मामला उझानी क्षेत्र के एक गांव का है। जानकारी के अनुसार, 25 दिसंबर को गांव में एक भैंस की मौत हो गई थी। बताया गया कि इस भैंस को करीब 20 दिन पहले एक कुत्ते ने काट लिया था, जिसके बाद उसकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई। इससे पहले 23 दिसंबर को गांव में तेरहवीं का कार्यक्रम आयोजित हुआ था, जिसमें करीब एक हजार से अधिक लोग शामिल हुए थे। भोज में परोसे गए रायते में उसी भैंस के दूध के इस्तेमाल की आशंका जताई गई।

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जैसे ही गांव में यह चर्चा फैली कि जिस भैंस के दूध से रायता बना था, वह रेबीज संक्रमित कुत्ते के काटने से मरी है, लोगों में भय का माहौल बन गया। शुक्रवार रात से ही ग्रामीण एंबुलेंस बुलाने लगे और एक-एक एंबुलेंस में आठ से नौ लोग बैठकर अस्पताल पहुंचने लगे। कुछ लोग निजी वाहनों से भी जिला अस्पताल पहुंचे। आशंका के चलते करीब 200 लोगों को एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगाया गया।

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हालांकि विशेषज्ञों और स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस डर को पूरी तरह निराधार बताया है। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अभिजीत पावड़े के अनुसार, यदि कोई दुधारू पशु रेबीज से संक्रमित भी हो, तो उसके दूध के सेवन से संक्रमण फैलने की कोई संभावना नहीं होती। रेबीज वायरस मुख्य रूप से जानवर की लार में पाया जाता है, दूध में नहीं। इसलिए संक्रमित भैंस का दूध पीने से लोगों को कोई खतरा नहीं है।

बदायूं के चिकित्साधीक्षक डॉ. सर्वेश कुमार ने बताया कि जिन लोगों को टीका लगाया गया, वह केवल एहतियातन था। दूध को उबालने के बाद ही दही या रायता तैयार किया जाता है, ऐसे में वायरस के जीवित रहने की संभावना नहीं होती। लोगों में बेवजह की आशंका फैल गई थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने सावधानी बरतते हुए अस्पताल पहुंचे सभी लोगों को टीकाकरण की सुविधा दी।

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विशेषज्ञों का कहना है कि असल खतरा उन लोगों को हो सकता है, जो संक्रमित पशु के सीधे संपर्क में आए हों, जैसे उसे चारा देना, नहलाना, दुहना या साफ-सफाई करना। ऐसे मामलों में ही एंटी रेबीज वैक्सीन की सलाह दी जाती है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि अफवाहों से बचें और किसी भी तरह की शंका होने पर चिकित्सकीय सलाह जरूर लें।