नई दिल्ली। कैब बुकिंग करने वाले यात्रियों के लिए जल्द ही एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। ओला, उबर और रैपिडो जैसे कैब एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म्स पर यात्रियों को अपने ही जेंडर का ड्राइवर चुनने का विकल्प मिलने की तैयारी है। इसके साथ ही ट्रिप पूरी होने के बाद ड्राइवर को सीधे टिप देने की सुविधा भी जोड़ी जाएगी, जिसकी पूरी राशि ड्राइवर को ही मिलेगी। सरकार का कहना है कि इन प्रावधानों का मुख्य उद्देश्य यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाना है, खासकर महिला यात्रियों के लिए इसे एक अहम कदम माना जा रहा है।
यह व्यवस्था Motor Vehicle Aggregators Guidelines, 2025 में किए गए संशोधनों के तहत लाई गई है। केंद्र सरकार ने राज्यों से इन गाइडलाइंस को अपनी लाइसेंसिंग प्रक्रिया में शामिल करने को कहा है। हालांकि नोटिफिकेशन में अभी प्रभावी तारीख स्पष्ट नहीं की गई है, लेकिन माना जा रहा है कि यह जारी होने की तारीख से लागू हो सकती है। इससे पहले जुलाई 2025 में जारी मूल गाइडलाइंस के लिए राज्यों को तीन महीने का समय दिया गया था, ऐसे में संशोधित नियमों के लिए भी इसी तरह की समय-सीमा दी जा सकती है।
संशोधित दिशा-निर्देशों के तहत एग्रीगेटर कंपनियों को अपने ऐप में जरूरी तकनीकी बदलाव करने होंगे। क्लॉज 15.6 के अनुसार ‘सेम जेंडर ड्राइवर’ का विकल्प ऐप में शामिल करना अनिवार्य होगा। नियमों का पालन न करने पर एग्रीगेटर का लाइसेंस निलंबित या रद्द किए जाने जैसी सख्त कार्रवाई भी हो सकती है।
हालांकि इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस सुविधा को लागू करना व्यावहारिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। देश में कैब ड्राइवरों में महिलाओं की हिस्सेदारी 5 प्रतिशत से भी कम बताई जा रही है। ऐसे में ‘सेम जेंडर ड्राइवर’ विकल्प से वेटिंग टाइम बढ़ सकता है, खासकर देर रात की बुकिंग में यात्रियों को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। फिलहाल ओला, उबर और रैपिडो ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।
वहीं सरकार ने टिपिंग सिस्टम को भी अधिक पारदर्शी बनाया है। नए नियमों के तहत यात्री अपनी इच्छा से ड्राइवर को टिप दे सकेंगे, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। टिप देने का विकल्प केवल ट्रिप पूरी होने के बाद ही उपलब्ध होगा। बुकिंग के समय या सफर के दौरान टिप का कोई विकल्प नहीं दिया जाएगा। सबसे अहम बात यह है कि दी गई पूरी टिप सीधे ड्राइवर के खाते में जाएगी और कैब कंपनियां इसमें से कोई कमीशन नहीं काट सकेंगी।
सरकार का मानना है कि इन बदलावों से न सिर्फ यात्रियों की सुरक्षा और भरोसा बढ़ेगा, बल्कि ड्राइवरों की आय में भी पारदर्शिता आएगी।
