यूक्रेन युद्ध में बड़ा कूटनीतिक मोड़: नाटो सदस्यता छोड़ने को तैयार जेलेंस्की, बदले में पश्चिम से ‘आयरन क्लेड’ सुरक्षा गारंटी की मांग

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वाशिंगटन। रूस और यूक्रेन के बीच पिछले तीन वर्षों से जारी भीषण युद्ध के बीच अब एक बड़ा कूटनीतिक बदलाव देखने को मिल रहा है। अब तक आक्रामक रुख के लिए पहचाने जाने वाले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की पहली बार समझौते के संकेत देते नजर आए हैं। जेलेंस्की ने इशारा किया है कि वह यूक्रेन के नाटो (NATO) में शामिल होने की मांग वापस लेने के लिए तैयार हैं, जिसे इस युद्ध की सबसे बड़ी वजहों में से एक माना जाता रहा है। हालांकि, इसके बदले उन्होंने अमेरिका और पश्चिमी देशों के सामने कड़ी शर्तें रख दी हैं।

यह संकेत जेलेंस्की ने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और उनके दामाद जेरेड कुशनर के साथ हुई उच्चस्तरीय बैठक के दौरान दिए। बैठक में जेलेंस्की ने स्पष्ट किया कि नाटो सदस्यता छोड़ना यूक्रेन की ओर से एक बड़ा समझौता होगा, लेकिन वह रूस द्वारा कब्जाए गए यूक्रेनी क्षेत्रों पर किसी भी तरह का दावा छोड़ने को तैयार नहीं हैं।

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गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप के शांति प्रस्तावों में यह सुझाव सामने आया था कि युद्ध समाप्त करने के लिए यूक्रेन को रूस के कब्जे वाले कुछ इलाकों को छोड़ना पड़ सकता है। हालांकि, जेलेंस्की ने इस प्रस्ताव को साफ तौर पर खारिज कर दिया है और कहा है कि यूक्रेन अपनी जमीन से किसी भी हाल में समझौता नहीं करेगा।

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इस अहम बैठक में जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज भी मौजूद थे। बाद में मीडिया से बातचीत में जेलेंस्की ने कहा कि अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों ने यूक्रेन की नाटो सदस्यता की कोशिशों पर रोक लगा दी है। ऐसे में यदि यूक्रेन नाटो की मांग छोड़ता है, तो बदले में उसे मजबूत और ठोस सुरक्षा गारंटी चाहिए।

जेलेंस्की ने मांग की है कि नाटो और उसके सहयोगी देश यूक्रेन को लिखित रूप में यह भरोसा दें कि भविष्य में रूस दोबारा उस पर हमला नहीं करेगा। उन्होंने इसे ‘आयरन क्लेड’ यानी पूरी तरह मजबूत सुरक्षा गारंटी करार दिया।

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विशेषज्ञों का मानना है कि जेलेंस्की का यह बयान युद्ध की दिशा बदल सकता है। रूस शुरू से ही कहता रहा है कि यूक्रेन का नाटो में शामिल होना उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है। अब जब यूक्रेन ने इस मांग पर नरमी दिखाई है, तो गेंद पश्चिमी देशों और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के पाले में है।

हालांकि, बड़ा सवाल अब भी बना हुआ है कि क्या रूस बिना कब्जे वाले इलाकों पर अधिकार पाए युद्ध रोकने को तैयार होगा और क्या पश्चिमी देश यूक्रेन को वह सुरक्षा गारंटी दे पाएंगे, जिसकी मांग जेलेंस्की कर रहे हैं।