न्यूयॉर्क। अमेरिका की एक अदालत ने ट्रंप प्रशासन द्वारा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की 2.6 अरब डॉलर (करीब 21 हजार करोड़ रुपये) की रिसर्च फंडिंग रोकने के फैसले को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि सरकार ने कानून का पालन किए बिना यह निर्णय लिया और यह पूरी तरह गलत था।
ट्रंप प्रशासन ने आरोप लगाया था कि हार्वर्ड में यहूदी-विरोधी गतिविधियां हो रही हैं और विश्वविद्यालय उदारवादी सोच को बढ़ावा दे रहा है। सरकार ने यूनिवर्सिटी से विरोध प्रदर्शनों को रोकने, दाखिला प्रक्रिया बदलने और कुछ नीतियों को खत्म करने जैसी मांगें रखी थीं। हार्वर्ड ने इन मांगों को मानने से इनकार कर दिया, जिसके बाद अप्रैल में उसकी फंडिंग रोक दी गई थी।
अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि किसी भी विश्वविद्यालय पर दबाव डालकर उसकी नीतियां बदलवाना न तो कानूनसम्मत है और न ही शिक्षा की आज़ादी के अनुकूल। अदालत ने कहा कि सरकार बिना ठोस वजह के फंडिंग रोककर मनमानी नहीं कर सकती।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि वे यहूदी-विरोधी के खिलाफ हैं, लेकिन सरकार को यह अधिकार नहीं है कि वह यह तय करे कि विश्वविद्यालय क्या पढ़ाए या किसे दाखिला दे। वहीं व्हाइट हाउस की प्रवक्ता ने अदालत के इस फैसले की आलोचना की और कहा कि सरकार अपील करेगी।