हल्द्वानी। फतेहपुर क्षेत्र में स्थित ‘सेवालय’ केंद्र एक ऐसे अनूठे सपने को साकार कर रहा है, जिसमें दिव्यांग बच्चों को केवल सहानुभूति नहीं, बल्कि अधिकार, सम्मान और आत्मनिर्भरता के साथ जीने की प्रेरणा दी जा रही है। जय शारदा स्वयं सहायता समूह द्वारा संचालित यह केंद्र दिव्यांग बच्चों के लिए उम्मीद की एक नई किरण बनकर उभरा है।
शारीरिक और मानसिक विकास का केंद्र
‘सेवालय’ आज केवल एक प्रशिक्षण केंद्र नहीं, बल्कि दिव्यांग बच्चों के सपनों की पहली सीढ़ी बन चुका है। यहां कुमाऊं के सभी जिलों से आए बच्चे निवास कर रहे हैं और केंद्र की देखरेख में एक संपूर्ण विकास यात्रा का हिस्सा बन रहे हैं।
केंद्र के संचालक रोहित जोशी बताते हैं कि बच्चों को यहां
- इनडोर और आउटडोर खेल,
- ऐपन कला और क्राफ्ट,
- कंप्यूटर शिक्षा,
- सामाजिक व्यवहार,
- और नृत्य जैसी गतिविधियों के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाता है।
सभी गतिविधियों का संचालन सुनियोजित समय-सारणी के अंतर्गत किया जाता है, ताकि बच्चों को नियमितता और अनुशासन की आदत भी डाली जा सके।
सम्मान, स्वतंत्रता और आत्मविश्वास
‘सेवालय’ उन बच्चों के लिए एक सुरक्षित और प्रेरणादायक वातावरण उपलब्ध कराता है, जिन्हें अक्सर समाज की मुख्यधारा से अलग-थलग महसूस कराया जाता है। यहां उन्हें सम्मान के साथ जीना, अपने अधिकारों को पहचानना और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना सिखाया जाता है।
सरकार से पंजीकृत और समर्थित
यह केंद्र उत्तराखंड सरकार से पंजीकृत है और उचित मार्गदर्शन एवं संसाधनों के सहयोग से यह दिखा रहा है कि यदि दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो हर बच्चा समाज से जुड़ सकता है, चाहे वह किसी भी शारीरिक चुनौती से क्यों न जूझ रहा हो।
‘सेवालय’ की यह यात्रा न केवल समाज के लिए एक प्रेरणा है, बल्कि यह भी प्रमाण है कि समाज में असली समावेशन तभी संभव है, जब हर व्यक्ति को उसके योग्य मंच और सम्मान मिले।