लखनऊ/नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की उत्तर प्रदेश, गुजरात और झारखंड में 40 घंटे से अधिक चली मैराथन छापेमारी ने नशीले कफ सिरप के अवैध कारोबार से जुड़े एक बड़े संगठित नेटवर्क का पर्दाफाश कर दिया है। जांच में सामने आया है कि नशे के इस काले कारोबार को छिपाने के लिए 220 कथित संचालकों के नाम पर 700 से अधिक फर्जी फर्मों का जाल खड़ा किया गया था। इन कागजी कंपनियों के जरिए अरबों रुपये की काली कमाई को वैध दिखाने की कोशिश की गई।
ईडी सूत्रों के मुताबिक यूपी में पहली बार इस पैमाने पर संगठित फर्जीवाड़ा सामने आया है। जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि अधिकांश कंपनियां सिर्फ कागजों में ही मौजूद थीं। जिन लोगों को इनका अधिकृत संचालक दिखाया गया, वे भी केवल दस्तावेजों तक सीमित थे। लेन-देन से लेकर खातों और बिलों तक हर स्तर पर हेराफेरी कर सिस्टम को गुमराह किया गया।
जांच एजेंसी को यह भी संकेत मिले हैं कि फेंसिडिल सिरप बनाने वाली एक दवा कंपनी के कई अधिकारियों को इस अवैध कारोबार की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने जानबूझकर आंखें मूंदे रखीं। गौरतलब है कि यूपी एसटीएफ के एएसपी लाल प्रताप सिंह ने अपनी पिछली जांच में ही दवा कंपनी के अधिकारियों की भूमिका को संदिग्ध बताया था। अब ईडी के पास मिले ठोस सबूतों के आधार पर जल्द ही आरोपियों की संपत्तियां जब्त करने की कार्रवाई की जा सकती है।
इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड दुबई में बैठा शुभम जायसवाल बताया जा रहा है, जो विदेश से इस सिंडिकेट को संचालित कर रहा था। जांच में शुभम के साथ एक पूर्व सांसद के करीबी आलोक सिंह और अमित टाटा की भूमिका भी सामने आ रही है। जब यूपी एसटीएफ ने अमित और आलोक को गिरफ्तार किया था, तब वे बेखौफ नजर आए थे, लेकिन ईडी की एंट्री के बाद वित्तीय जांच शुरू होते ही आरोपियों के खेमे में हड़कंप मच गया है।
ईडी की वित्तीय जांच में दुबई में छिपे शुभम जायसवाल और उसके पिता भोला प्रसाद जायसवाल के बैंक खातों में भारी संदिग्ध लेन-देन के सबूत मिले हैं। कई ऐसे ट्रांजेक्शन सामने आए हैं, जिनका कोई स्पष्ट स्रोत नहीं मिल पा रहा है। इसके अलावा रांची और धनबाद की कुछ फर्मों से भी पैसों के आदान-प्रदान के साक्ष्य हाथ लगे हैं।
ईडी अब जीएसटी विभाग से इन फर्मों से जुड़ा विस्तृत डेटा जुटा रही है, जिससे जांच का दायरा और व्यापक होने की संभावना है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस नशा सिंडिकेट से जुड़े कई और सफेदपोशों, फर्जी कंपनियों और काले धन के नए ठिकानों का खुलासा हो सकता है।
