देहरादून। योग को ओलंपिक में शामिल करने की मुहिम अब उत्तराखंड से नई दिशा लेगी। आगामी 38वें राष्ट्रीय खेलों में पहली बार योग को आधिकारिक तौर पर खेल के रूप में शामिल किया गया है। यह दोहरी खुशी का मौका है क्योंकि राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी का सम्मान भी उत्तराखंड को मिला है।
योग को ओलंपिक में शामिल कराने के प्रयास लंबे समय से जारी हैं। केंद्र सरकार इसके लिए कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जोर-शोर से पैरवी कर रही है। सरकार का लक्ष्य है कि अगले ओलंपिक में योग को प्राथमिक तौर पर शामिल किया जाए और 2036 के ओलंपिक में इसे मेडल गेम के रूप में मान्यता मिल सके।
मुख्यमंत्री धामी की पैरवी से मिली सफलता
उत्तराखंड ओलंपिक संघ के महासचिव डॉ. डीके सिंह ने योग को राष्ट्रीय खेलों में शामिल कराने का श्रेय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दिया है। उनके अनुसार, मुख्यमंत्री ने भारतीय ओलंपिक संघ से योग को शामिल करने की ठोस पैरवी की, जिसके सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूत पैरवी की उम्मीद
अब जब योग राष्ट्रीय खेलों का हिस्सा बन चुका है, तो अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ पर दबाव बढ़ेगा। इससे भारत की ओर से ओलंपिक में योग को शामिल कराने की मांग को और मजबूती मिलेगी।
दुनिया में बढ़ रही योग की स्वीकार्यता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में योग को वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिली है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस ने इस मुहिम को और सशक्त किया है। केंद्र सरकार ने योग के प्रचार-प्रसार के लिए एक अलग फेडरेशन भी बनाया है, जो ओलंपिक में योग को शामिल करने की पैरवी कर रहा है।
आयोजन की तैयारियां जोरों पर
उत्तराखंड को योग और मलखंब के आयोजन के लिए चयनित किया गया है। योग की प्रतिस्पर्धाएं अल्मोड़ा में और मलखंब खटीमा में होंगी। डायरेक्टर ऑफ कम्पटीशन (डीओसी) की टीम अगले कुछ दिनों में आयोजन स्थल का निरीक्षण करेगी।
योग से जुड़ेगा उत्तराखंड का गौरव
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “उत्तराखंड का सौभाग्य है कि वह 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी कर रहा है और योग खेल का पदार्पण यहीं हो रहा है। यह कदम ओलंपिक में योग को शामिल करने की मुहिम को मजबूती देगा।”