भीमताल। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) भीमताल द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अनुभव आधारित विज्ञान कार्यशाला शुक्रवार को सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गई। समापन सत्र में कार्यशाला के दौरान तैयार किए गए विभिन्न विज्ञान मॉडल और गतिविधियों का विस्तार से अवलोकन किया गया।
समापन अवसर पर संस्थान के प्राचार्य सुरेश चंद्र आर्य ने कहा कि तीन दिनों की मेहनत तभी सार्थक होगी जब शिक्षक इन गतिविधियों को अपनी कक्षाओं तक ले जाएँ। उन्होंने कहा—“मॉडल और गतिविधियाँ तभी उपयोगी हैं, जब उनका प्रभाव बच्चों के सीखने में दिखाई दे। अनुभव आधारित विज्ञान शिक्षण को स्कूलों में अनिवार्य रूप से लागू करें।”
कार्यशाला के मुख्य संदर्भदाता आशुतोष उपाध्याय ने कहा कि सीखने की प्रक्रिया तभी प्रभावी होती है जब वह अनुभव पर आधारित हो। “विज्ञान को देखकर, छूकर और करके सीखना ही बच्चों को वास्तविक ज्ञान देता है।”
कार्यशाला समन्वयक डॉ. शैलेन्द्र धपोला ने परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण के नतीजों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि जनपद नैनीताल के सरकारी, गैर-सरकारी और निजी विद्यालयों में विज्ञान की समझ समान रूप से कमजोर पाई गई। “विज्ञान को रटाने पर जोर देने से बच्चे अवधारणाएँ समझ नहीं पाते। इस कार्यशाला का उद्देश्य इसे बदलना है।”
कार्यशाला संयोजक डॉ. प्रेम सिंह मावड़ी ने कहा कि शिक्षक जब सीखी गई गतिविधियाँ कक्षा में लागू करेंगे, तो शिक्षण अधिक रोचक होगा, कक्षाओं में वैज्ञानिक सोच विकसित होगी, विद्यार्थी विषय को समझकर सीख सकेंगे।
समापन कार्यक्रम में कक्षा 9 और 10 की छात्राओं ने विज्ञान मॉडलों का अवलोकन कर खूब उत्साह दिखाया। सभी प्रतिभागी शिक्षकों को प्रमाणपत्र वितरित किए गए। कार्यक्रम में 30 विद्यालयों के विज्ञान शिक्षक-शिक्षिकाएँ शामिल रहे। इनमें दयावती रौतेला, माया चंदोला, नारायण सिंह रौतेला, हेमलता तिवारी, मदन गोस्वामी, मीना पलियाल, गीता नेगी, कैलाश चंद्र पांडे, डॉ. विमल थपलियाल, राजेश जोशी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
समापन पर प्रधानाचार्या डॉ. भारती नारायण भट्ट ने सभी अतिथियों, प्रशिक्षकों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए प्रशिक्षण को गंभीरता से लागू करने का अनुरोध किया। कार्यशाला के सफल समापन के साथ ही विज्ञान शिक्षण में एक नई ऊर्जा और दिशा का संचार हुआ है।
