थाईलैंड की राजमाता सिरिकिट का 93 वर्ष की आयु में निधन, एक वर्ष का शोककाल घोषित

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बैंकॉक। थाईलैंड से एक दुखद समाचार — देश की राजमाता सिरिकिट (Queen Mother Sirikit) का 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। रॉयल हाउसहोल्ड ब्यूरो ने शनिवार को जानकारी दी कि उनका निधन शुक्रवार देर रात हुआ।
राजमाता सिरिकिट को युद्धोत्तर काल में थाई राजशाही में ग्लैमर, गरिमा और आधुनिकता का नया अध्याय जोड़ने का श्रेय दिया जाता है।

वह 2012 में स्ट्रोक (पक्षाघात) आने के बाद से ही सार्वजनिक जीवन से दूर थीं। 2019 से अस्पताल में भर्ती सिरिकिट की हालत 17 अक्टूबर को ब्लड इंफेक्शन होने के बाद लगातार बिगड़ती चली गई। उनके निधन पर थाई शाही परिवार और राजकर्मचारियों के लिए एक वर्ष का शोककाल घोषित किया गया है।

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प्रधानमंत्री अनुतिन चार्नवीराकुल ने इस शोक में मलेशिया में होने वाले आसियान शिखर सम्मेलन का दौरा रद्द कर दिया है। शनिवार को कैबिनेट की विशेष बैठक में राजकीय अंतिम संस्कार की योजना पर चर्चा की जाएगी।

‘रैविशिंग ब्यूटी’ जिसने दुनिया को मोहित किया
क्वीन सिरिकिट अपने पति, दिवंगत किंग भूमिबोल अदुल्यादेज (King Bhumibol Adulyadej) के साथ 70 वर्षों तक थाई राजशाही की प्रतीक रहीं। उन्होंने न केवल थाई जनता का दिल जीता बल्कि दुनिया को थाई संस्कृति, शिष्टता और फैशन की झलक भी कराई।

1960 में अमेरिका दौरे के दौरान व्हाइट हाउस में उनके स्टेट डिनर की उपस्थिति ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया को मंत्रमुग्ध कर दिया था। टाइम मैगज़ीन ने उन्हें “स्लिम एंड आर्क-फेमिनिस्ट क्वीन” कहा, जबकि फ्रांसीसी अखबार L’Aurore ने उन्हें “रैविशिंग ब्यूटी” की उपाधि दी।

फैशन, संगीत और ग्रामीण विकास को समर्पित जीवन
1932 में जन्मी सिरिकिट किटियाकर के पिता फ्रांस में थाईलैंड के राजदूत थे। पेरिस में संगीत की पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात युवा भूमिबोल से हुई, और 1950 में मात्र 17 वर्ष की आयु में उनका विवाह हुआ। फैशन की दुनिया में सिरिकिट ने फ्रांसीसी डिजाइनर पियरे बालमैन (Pierre Balmain) के साथ मिलकर थाई सिल्क आधारित आधुनिक परिधान तैयार किए, जिससे थाई रेशम उद्योग को वैश्विक पहचान मिली और ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक बुनाई को नया जीवन मिला। राजमाता ने अपने जीवन के चार दशक ग्रामीण विकास को समर्पित किए। वह राजा के साथ देश के दूर-दराज के इलाकों में जातीं और गरीबों के उत्थान हेतु परियोजनाओं की अगुवाई करती थीं।

जब बनीं राजप्रतिनिधि, जन्मदिन बना ‘मातृ दिवस’
1956 में जब राजा भूमिबोल कुछ समय के लिए बौद्ध भिक्षु बने, तब सिरिकिट ने राजप्रतिनिधि (Regent) के रूप में कार्यभार संभाला — जो थाई परंपरा में अत्यंत सम्मानजनक भूमिका मानी जाती है। 1976 में उनके जन्मदिन 12 अगस्त को थाईलैंड का ‘मातृ दिवस’ (Mother’s Day) घोषित किया गया, जो आज भी राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। राजमाता सिरिकिट न केवल थाईलैंड की मातृ प्रतीक थीं, बल्कि उन्होंने अपने व्यक्तित्व से विश्व मंच पर थाई संस्कृति की गरिमा को अमर कर दिया।

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