मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट मामला: बॉम्बे हाई कोर्ट ने 11 दोषियों को किया बरी, न्याय व्यवस्था पर उठे सवाल

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मुंबई: साल 2006 में मुंबई लोकल ट्रेनों में हुए श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों के बहुचर्चित मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए 11 आरोपियों को निर्दोष करार देते हुए सभी को बरी कर दिया।

यह ऐतिहासिक फैसला न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति एस.जी. चांडक की खंडपीठ ने सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ पुख्ता और विश्वसनीय साक्ष्य पेश करने में असफल रहा। गौरतलब है कि 11 जुलाई 2006 को मुंबई की उपनगरीय ट्रेनों में सात स्थानों पर बम धमाके हुए थे, जिनमें 189 लोगों की मौत हो गई थी और 824 से अधिक लोग घायल हुए थे।

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विशेष अदालत ने 2015 में इस मामले में 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था। इनमें से पांच को फांसी और सात को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, बाद में एक आरोपी कमल अंसारी की 2022 में जेल में ही कोविड-19 के दौरान मृत्यु हो गई थी।

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हाई कोर्ट ने पाया कि आरोपियों के कबूलनामे कथित रूप से जबरन लिए गए थे और कई गवाहों की गवाही पर भी संदेह की गुंजाइश रही। बचाव पक्ष ने दलील दी थी कि MCOCA अधिनियम के तहत दर्ज किए गए बयान टॉर्चर और दबाव में लिए गए, जो न्यायसंगत नहीं हैं। इस फैसले के बाद न्याय प्रक्रिया, जांच एजेंसियों की भूमिका और आतंकवाद से जुड़े मामलों में साक्ष्यों की प्रमाणिकता को लेकर नई बहस छिड़ गई है।

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