स्वदेशी रोशनी से जगमगा रही देवभूमि की दीपावली, नाबार्ड की पहल से 90 महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर

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हल्द्वानी। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के सहयोग से संचालित गिरिजा बुटीक एवं महिला विकास संस्था का आजीविका उद्यमिता विकास कार्यक्रम महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता की मिसाल बन गया है।

नैनीताल जिले के हल्द्वानी और बैलपड़ाव क्षेत्र की 90 महिलाएं अब LED झालर, बल्ब, स्वास्तिक और मालाओं के निर्माण में निपुण हो चुकी हैं, जो बाजार में बड़ी कंपनियों को कड़ी टक्कर दे रही हैं।

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दो वर्ष पूर्व प्रारंभ किए गए इस LED प्रकाश व्यवस्था प्रशिक्षण कार्यक्रम (वर्ष 2024-25) के तहत महिलाओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण दिया गया। अब यही महिलाएं दीपावली के अवसर पर स्वदेशी उत्पाद तैयार कर रही हैं। इनके बनाए उत्पादों की मांग इतनी अधिक है कि बिक्री शुरू होने से पहले ही ऑर्डर मिलने लगे हैं।

इन LED मालाओं और बल्बों की खासियत है कि ये चीनी मालाओं की तुलना में अधिक टिकाऊ और किफायती हैं। महिलाएं अब ऑनलाइन माध्यमों से भी ऑर्डर प्राप्त कर रही हैं और दीपावली पर तेजी से सप्लाई कर रही हैं। प्रत्येक महिला प्रतिदिन औसतन 5-6 झालर या स्वास्तिक और 30-40 बल्ब तैयार कर रही है। इन उत्पादों की कीमत ₹150 से ₹400 तक है। इससे महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बनी हैं बल्कि दूसरों के घरों में भी उजाला फैला रही हैं।

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कार्यक्रम से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि नाबार्ड की पहल ने उन्हें आर्थिक मजबूती और सामाजिक पहचान दी है। उन्होंने साबित कर दिया है कि यदि अवसर मिले तो महिलाएं हर क्षेत्र में निपुणता हासिल कर सकती हैं।

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नाबार्ड द्वारा संचालित यह कार्यक्रम स्वदेशी अपनाओ और आत्मनिर्भर भारत के संदेश को मजबूत कर रहा है। आज ये महिलाएं अपनी मेहनत और हुनर से स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन की मिसाल बन चुकी हैं।

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