रुड़की। हरियाणा सरकार के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता अवतार सिंह भड़ाना के 68वें जन्मदिन पर आयोजित कंबल वितरण कार्यक्रम में अफरातफरी मच गई। लक्सर में हुए इस आयोजन में कंबल लेने की होड़ में भीड़ बेकाबू हो गई और छीना-झपटी के बीच भगदड़ जैसे हालात बन गए।
बताया जा रहा है कि आयोजन में कंबल वितरण की जानकारी गांव-गांव में दी गई थी, जिसके चलते आसपास के इलाकों से हजारों लोग जुट गए। सुबह 8 बजे से लोग बच्चों और बुजुर्गों के साथ ठिठुरती ठंड में कतार में खड़े थे, लेकिन दोपहर तक कंबल बांटने का कोई अता-पता नहीं था। जैसे ही कंबल वितरण शुरू हुआ, लोग बेकाबू हो गए और छीना-झपटी शुरू हो गई। हालात काबू से बाहर होने पर पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।
लालच देकर बुलाया, हाथ खाली और चोट लेकर लौटे लोग
हिंदपुर से आई एक महिला ने बताया, “हमसे कहा गया था कि सुबह 8 बजे कंबल बांटे जाएंगे, लेकिन शाम के 4 बज गए और अब तक कुछ भी नहीं मिला। न खाना मिला, न कंबल।” वहीं, एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि भीड़ में धक्का-मुक्की के दौरान एक महिला को चोट भी आई और उसे अस्पताल ले जाना पड़ा।
पुलिस पर मारपीट का आरोप, ग्रामीणों का फूटा गुस्सा
कंबल वितरण में अव्यवस्था के बाद जब भीड़ ने धक्का-मुक्की शुरू की, तो पुलिस ने स्थिति काबू करने के लिए सख्ती बरती। इस पर लोगों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने डंडे चलाए और उन्हें बेवजह पीटा गया। एक ग्रामीण ने कहा, “हमें कंबल का लालच देकर यहां बुलाया गया था। हम दिहाड़ी छोड़कर आए, लेकिन न कंबल मिला और उल्टा पुलिस से मार खानी पड़ी।”
राजनीतिक समीकरणों की चर्चा तेज
लक्सर में जन्मदिन मनाने पहुंचे अवतार सिंह भड़ाना को लेकर सियासी चर्चाएं भी गरम हो गई हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि उनका मकसद यहां से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी करना है। इसी उद्देश्य से उन्होंने स्थानीय लोगों का दिल जीतने के लिए जन्मदिन के बहाने कंबल वितरण का आयोजन किया।
व्यवस्था पर उठे सवाल, नेताजी की छवि पर असर
लक्सर में हुए इस घटनाक्रम के बाद अवतार सिंह भड़ाना की मंशा और आयोजन की व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। लोगों का कहना है कि वोट बैंक के लिए इस तरह की भीड़ इकट्ठा करना और फिर उन्हें खाली हाथ छोड़ देना जनता के साथ धोखा है। हालांकि, अच्छी बात यह रही कि इस दौरान कोई गंभीर दुर्घटना नहीं हुई।
नेताजी का केक छूटा, कंबल पर रही नजर
गौरतलब है कि अवतार सिंह भड़ाना के जन्मदिन पर केक काटने का भी कार्यक्रम था, लेकिन जनता की नजरें केक पर नहीं, बल्कि कंबल पर टिकी रहीं। कम्बल पाने की होड़ में जन्मदिन का उत्सव हंगामे में बदल गया और आयोजकों को स्थिति संभालने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।