यूक्रेन राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अमेरिका के समर्थन पर जताया आभार

खबर शेयर करें

नई दिल्ली। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने रूस के खिलाफ चल रहे युद्ध में अमेरिका से मिले समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (ट्विटर) पर एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि यूक्रेन को अमेरिका के समर्थन की महत्वपूर्ण भूमिका का एहसास है और वह इसके लिए आभारी हैं।

व्हाइट हाउस के बयान के बाद आया जेलेंस्की का संदेश

जेलेंस्की का यह बयान व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के उस टिप्पणी के बाद आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि यूक्रेन अमेरिका के समर्थन के लिए पर्याप्त आभार व्यक्त नहीं कर रहा है और उसने संघर्ष विराम प्रस्तावों को भी अस्वीकार कर दिया है।

यह भी पढ़ें 👉  लोहाघाट में बरात का वाहन खाई में गिरा, दो की मौत, तीन घायल

यूरोप का सहयोग और शांति की मांग

वीडियो संदेश में जेलेंस्की ने यह भी बताया कि उन्हें यूरोप से समर्थन और एकता मिल रही है और इस सहयोग को और मजबूत करने की इच्छा बढ़ रही है। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य अंतहीन युद्ध नहीं, बल्कि स्थायी शांति है, जिसके लिए हमें वास्तविक सुरक्षा गारंटी चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, तुर्की और अन्य सहयोगी देशों के लिए भी यह एक अहम मुद्दा है।

यह भी पढ़ें 👉  सीबीएसई 2026-27 से साल में दो बार कराएगा बोर्ड परीक्षा, वैश्विक पाठ्यक्रम भी होगा लागू

यूक्रेन की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों की सराहना

जेलेंस्की ने यूक्रेनी नागरिकों की लचीलापन (resilience) की सराहना करते हुए कहा कि देश की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के लिए वे हमेशा आभारी रहेंगे।

लंदन सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध पर हुई चर्चा

जेलेंस्की का यह बयान लंदन में हुए एक शिखर सम्मेलन के बाद आया है, जहां रूस-यूक्रेन युद्ध पर चर्चा के लिए विभिन्न देशों के नेता एकत्र हुए थे। इस सम्मेलन में शामिल प्रमुख नेताओं में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी शामिल थे।

यह भी पढ़ें 👉  अंतरिक्ष में चलना भूलीं सुनीता विलियम्स, ISS पर स्पेसक्राफ्ट खराब होने से फंसीं

यह बैठक 2022 में रूस के आक्रमण के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय की एकजुटता दिखाने का एक महत्वपूर्ण अवसर साबित हुई।