फुटबॉल को समर्पित डॉ. वीरेन्द्र सिंह रावत की जीवन यात्रा पर बनी शॉर्ट फिल्म को मिला अंतरराष्ट्रीय सम्मान

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देहरादून। उत्तराखंड के वरिष्ठ फुटबॉल खिलाड़ी, कोच और रेफरी डॉ. वीरेन्द्र सिंह रावत की प्रेरणादायक जीवन यात्रा पर आधारित शॉर्ट फिल्म “जर्नी ऑफ फुटबॉलर वीरेन्द्र सिंह रावत” को इंटरनेशनल सिल्वर स्क्रीन फिल्म अवार्ड 2025 में बेस्ट स्पोर्ट्स शॉर्ट फिल्म का पुरस्कार मिला है। यह फिल्म उनकी बेटी प्रियांशी रावत द्वारा वर्ष 2019 में बनाई गई थी।

इस शॉर्ट फिल्म का चयन बॉलीवुड और पंजाबी संगीत जगत की चर्चित हस्तियों—गायक शंकर साहनी, गायिका शयमा शेख और फिल्मकार कौशिक घोष की जूरी ने किया। फिल्म को 28 जून को दिल्ली के भारती विद्यापीठ यूनिवर्सिटी, पश्चिम विहार ईस्ट में आयोजित समारोह में सम्मानित किया जाएगा।

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डॉ. रावत ने बताया कि यह फिल्म केवल एक कहानी नहीं बल्कि उनके जीवन संघर्ष का आईना है। उन्होंने 27 वर्षों से खेल के क्षेत्र में बिना किसी स्वार्थ के योगदान दिया है। फुटबॉल को राज्य में प्रोत्साहित करने के लिए उन्होंने निजी स्तर पर बड़ा बलिदान दिया—सरकारी नौकरी छोड़ी, आर्थिक तंगी झेली, सामाजिक विरोध सहा और यहां तक कि जेल भी गए। लेकिन फिर भी उन्होंने अपने हौसले को नहीं टूटने दिया।

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डॉ. रावत ने कहा, “मुझे गर्व है कि मैं दो बेटियों का पिता हूं। मेरी बड़ी बेटी ने न सिर्फ मेरे संघर्ष को समझा बल्कि उसे कैमरे में कैद कर समाज के सामने लाकर एक मिशाल पेश की।” यह शॉर्ट फिल्म इससे पहले गोवा इंटरनेशनल बेस्ट डॉक्यूमेंट्री अवार्ड, दादा साहेब फाल्के अवार्ड, और नेशनल फिल्म अवार्ड से भी सम्मानित हो चुकी है।

प्रियांशी रावत ने बताया, “हमारे पिताजी उस विचारधारा के प्रतीक हैं जिसमें मंजिल तक पहुंचने के लिए पद या प्रतिष्ठा की नहीं, बल्कि जुनून की ज़रूरत होती है। उन्होंने जीवन में बार-बार चोट खाई, लेकिन कभी हार नहीं मानी।”

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इस अंतरराष्ट्रीय पहचान पर डॉ. रावत ने समस्त उत्तराखंडवासियों और खेल प्रेमियों को धन्यवाद देते हुए कहा—“जीवन में कभी हार मत मानो, निरंतर प्रयास ही सफलता की कुंजी है। जब तक हार नहीं मानते, जीत की उम्मीद बनी रहती है।”

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