रुद्रपुर/हल्द्वानी। उत्तराखण्ड सरकार और राज्य कर विभाग की नाकामी ने करोड़ों रुपये के राजस्व को रोजाना चूना लगाना शुरू कर दिया है। ऊधमसिंह नगर में टैक्स चोरी का काला कारोबार इतने बड़े पैमाने पर चल रहा है कि दिल्ली-बरेली से आने वाला बिना बिल का माल ट्रांसपोर्ट गोदामों में उतरते ही पलक झपकते गायब हो जाता है। विभागीय अधिकारी मूकदर्शक बने हैं और जीरो टॉलरेंस के दावे खोखले साबित हो रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, बनारस, आगरा, हाथरस जैसे शहरों से टैक्स चोरी का माल पहले बरेली में जमा होता है, फिर यहां से किच्छा लाया जाता है। किच्छा से यह खेप सितारगंज, खटीमा, नानकमत्ता, बनबसा, टनकपुर और चंपावत होते हुए पहाड़ी जिलों तक सप्लाई होती है। यूपी बॉर्डर और दिल्ली से सीधे रुद्रपुर आने वाला माल गदरपुर, बाजपुर, काशीपुर समेत पूरे कुमाऊं में पहुंचाया जा रहा है।
पहले खुले ट्रक और गाड़ियों में माल आता था, लेकिन बार-बार पकड़े जाने के बाद अब बंद बॉडी गाड़ियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जैसे ही ट्रांसपोर्ट में बिना बिल-बिल्टी का माल उतरता है, व्यापारी उसे तुरंत उठा ले जाते हैं, जबकि पक्का बिल और टैक्स चुकाकर आने वाला माल कई-कई दिन गोदामों में पड़ा रहता है।
स्थानीय ट्रांसपोर्टरों का आरोप है कि इस पूरे खेल को राज्य कर विभाग के कुछ अधिकारी संरक्षण दे रहे हैं और इसके बदले हर महीने मोटी रकम वसूलते हैं। रोजाना करोड़ों रुपये के राजस्व की हो रही इस हानि पर सरकार की चुप्पी और विभागीय निष्क्रियता ने मुख्यमंत्री के जीरो टॉलरेंस के दावों की सच्चाई उजागर कर दी है।