हल्द्वानी: दीक्षांत इंटरनेशनल स्कूल में तेनजिंग सैंडू ने साझा किया जीवन-संघर्ष और तिब्बती संस्कृति का अनुभव

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हल्द्वानी। दीक्षांत इंटरनेशनल स्कूल में मंगलवार को एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें प्रख्यात तिब्बती कवि, लेखक, शरणार्थी और सामाजिक कार्यकर्ता तेनजिंग सैंडू ने शिरकत की। कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों को तेनजिंग के जीवन-संघर्षों, अनुभवों और तिब्बती संस्कृति से रूबरू होने का अवसर प्राप्त हुआ।

तेनजिंग सैंडू ने अपने जीवन यात्रा के माध्यम से बताया कि किस प्रकार उन्होंने जम्मू-कश्मीर की सीमाओं से लगे तिब्बती अंचलों की पदयात्रा की और इस दौरान विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक पहलुओं का अवलोकन किया। उन्होंने लद्दाख से तिब्बत तक के जीवन, खानपान, परंपराएं और प्राचीन स्थापत्य कला पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस प्रकार सिर्फ मिट्टी, लकड़ी और पत्थर से बनी इमारतें आज भी वहां की पहचान हैं।

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कार्यक्रम में तेनजिंग ने यह भी बताया कि भारत और तिब्बत के बीच पुराने समय में नमक और गुड़ का व्यापार होता था, जिससे दोनों देशों के बीच मधुर संबंध विकसित हुए। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में यात्रा और प्रत्यक्ष अनुभव को सर्वश्रेष्ठ ज्ञान का माध्यम बताया।

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विद्यालय के प्रबंधक समित टिक्कू ने तेनजिंग का स्वागत करते हुए राहुल सांकृत्यायन की प्रसिद्ध पंक्तियों — “सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ? ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ?” — के माध्यम से विद्यार्थियों को जीवन में घूमकर सीखने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि तेनजिंग ने अपनी डेढ़ घंटे की प्रस्तुति में जैसे 4500 किलोमीटर की यात्रा को सजीव कर दिया।

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कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने तेनजिंग की संघर्षगाथा से प्रेरणा ली और उन्हें जीवन के विविध पहलुओं को समझने की नई दृष्टि प्राप्त हुई।