वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जिन्हें अक्सर ‘टैरिफ किंग’ कहा जाता है, ने एक और बड़ा आर्थिक कदम उठाते हुए दवाओं के आयात पर शुल्क लगाने की घोषणा की है। इससे पहले, 2 अप्रैल को ट्रंप प्रशासन ने 180 से अधिक देशों पर पारस्परिक टैरिफ लागू किया था।
मंगलवार को नेशनल रिपब्लिकन कांग्रेसनल कमेटी के एक कार्यक्रम में बोलते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य दवा कंपनियों को अमेरिका में उत्पादन स्थापित करने के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अमेरिका अपनी दवा जरूरतों के लिए बाहरी देशों पर निर्भर नहीं रह सकता।
इसी बीच, मंगलवार आधी रात से अमेरिका में आयात होने वाले विभिन्न देशों के उत्पादों पर नई टैरिफ दरें लागू हो गईं। ट्रंप प्रशासन ने चीन के प्रति अपने रुख को और सख्त करते हुए चीनी सामानों पर टैरिफ 54% से बढ़ाकर 104% कर दिया। जवाबी कार्रवाई में, चीन ने अमेरिकी सामानों पर 34% टैरिफ लगाने की घोषणा की, जिससे राष्ट्रपति ट्रंप नाराज हो गए। उन्होंने चीन पर मुद्रा हेरफेर का आरोप लगाते हुए कहा, “वे टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए अपनी मुद्रा में हेरफेर कर रहे हैं।”
अमेरिका ने भारत से आयातित उत्पादों पर भी 26% टैरिफ लगा दिया है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि करीब 70 देशों के साथ व्यापारिक वार्ता जारी है और हर देश के साथ विशेष व्यापार समझौता (कस्टम-मेड डील) करने की योजना है।
सोमवार को राष्ट्रपति ट्रंप ने व्यापार और अन्य मुद्दों पर जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा से फोन पर चर्चा की, जबकि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मुलाकात भी की। इसके अलावा, उन्होंने दक्षिण कोरिया के कार्यवाहक राष्ट्रपति हान डक-सू से भी वार्ता की। अमेरिकी प्रशासन इस बात से नाखुश है कि चीन ने बातचीत के बजाय जवाबी टैरिफ लगाने का रास्ता चुना, जबकि राष्ट्रपति ट्रंप ने स्पष्ट किया कि वह हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं।