नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया रिपोर्टिंग और सोशल मीडिया पर न्यायपालिका से जुड़ी घटनाओं के प्रसार को लेकर स्पष्ट नियम तय करने की दिशा में कदम बढ़ाने के संकेत दिए हैं। यह मुद्दा हाल ही में सामने आई उस घटना के बाद चर्चा में आया है, जिसमें तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) पर जूता फेंकने की घटना हुई थी। शीर्ष अदालत ने साफ किया है कि इस संवेदनशील विषय पर जनवरी माह में विस्तृत सुनवाई की जाएगी।
केंद्र सरकार की ओर से पेश होते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के साथ विचार-विमर्श कर संयुक्त सुझाव पेश करेगी। इन सुझावों में भविष्य में ऐसी घटनाओं की रोकथाम के उपायों के साथ-साथ, यदि कोई घटना घटती है तो उसकी मीडिया रिपोर्टिंग और सोशल मीडिया पर प्रसार को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश शामिल होंगे।
यह सुनवाई सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से दायर उस याचिका पर हो रही है, जिसमें अदालत परिसर में अनुचित आचरण करने वाले राकेश किशोर के खिलाफ कार्रवाई और ऐसी घटनाओं की रिपोर्टिंग को विनियमित करने की मांग की गई है। हालांकि, इससे पहले तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ यह स्पष्ट कर चुकी है कि राकेश किशोर के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई का इरादा नहीं है, क्योंकि पूर्व CJI जस्टिस गवई उन्हें पहले ही क्षमा कर चुके हैं।
शीर्ष अदालत ने दो टूक कहा कि उसका उद्देश्य किसी व्यक्ति को दंडित करना नहीं, बल्कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकना और उनकी रिपोर्टिंग के लिए एक संतुलित व जिम्मेदार व्यवस्था तैयार करना है। कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि मीडिया और सोशल मीडिया पर न्यायपालिका से जुड़ी खबरों के प्रसार में संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है, ताकि न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा और संस्थागत सम्मान अक्षुण्ण बना रहे।
