देहरादून। विश्वासघात का शिकार एक बुजुर्ग दंपति को आखिरकार न्याय मिल गया। दून निवासी इस दंपति ने अपने बेटे को गिफ्ट डीड के जरिए 3080 वर्गफुट की संपत्ति और व्यापार सौंपा था, लेकिन संपत्ति मिलते ही बेटे ने मां-बाप से नाता तोड़ लिया और उन्हें घर से निकाल दिया। मामला जिलाधिकारी सविन बंसल की अदालत पहुंचा, जहां पहली ही सुनवाई में गिफ्ट डीड को निरस्त कर संपत्ति बुजुर्ग दंपति के नाम कर दी गई।
बुजुर्ग माता-पिता ने गिफ्ट डीड में साफ शर्त रखी थी कि बेटा न केवल उनका भरण-पोषण करेगा, बल्कि उन्हें अपने साथ भी रखेगा और पोते-पोतियों से भी दूर नहीं करेगा। लेकिन बेटे ने गिफ्ट डीड का उल्लंघन करते हुए न सिर्फ माता-पिता से दूरी बना ली, बल्कि उन्हें घर से बाहर निकाल दिया और पोते-पोतियों से मिलने तक नहीं दिया।
न्याय की तलाश में भटकते इस दंपति को जब तहसील और थाने से राहत नहीं मिली तो उन्होंने जिलाधिकारी न्यायालय में शरण ली। जिलाधिकारी सविन बंसल ने मामले की गंभीरता को समझते हुए वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण अधिनियम के तहत कार्रवाई करते हुए गिफ्ट डीड निरस्त करने और संपत्ति पुनः बुजुर्ग दंपति के नाम दर्ज करने का आदेश दे दिया।
फैसला सुनते ही बुजुर्ग दंपति की आंखें भर आईं। वर्षों के संघर्ष के बाद उन्हें न्याय मिला, तो वे भावुक हो उठे। यह फैसला न केवल उन्हें न्याय दिलाने वाला है, बल्कि ऐसे मामलों में एक मिसाल भी बन सकता है, जिसमें संतान द्वारा माता-पिता के साथ किए गए विश्वासघात को भरण-पोषण कानून के तहत चुनौती दी जा सकती है।