टोक्यो। जापान के नए फ्लैगशिप रॉकेट H3 को एक और बड़ा झटका लगा है। जापानी अंतरिक्ष अन्वेषण अभिकरण (JAXA) का H3 रॉकेट नेविगेशन सैटेलाइट मिचिबिकी-5 को उसकी निर्धारित कक्षा में स्थापित करने में नाकाम रहा। यह H3 रॉकेट की दूसरी असफलता मानी जा रही है, जबकि मार्च 2023 में पहली उड़ान में गड़बड़ी के बाद यह छह सफल उड़ानें पूरी कर चुका था।
JAXA के अनुसार, मिचिबिकी-5 सैटेलाइट को लेकर H3 रॉकेट को सोमवार को जापान के दक्षिण-पश्चिमी द्वीप पर स्थित तनेगाशिमा स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया। यह मिशन जापान की अपनी उच्च सटीकता वाली लोकेशन पोजिशनिंग प्रणाली विकसित करने की योजना का अहम हिस्सा था।
JAXA के एग्जीक्यूटिव और लॉन्च डायरेक्टर मासाशी ओकाडा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि रॉकेट के दूसरे स्टेज के इंजन में अपेक्षा से पहले ही कटऑफ हो गया। इसके बाद सैटेलाइट के रॉकेट से अलग होने की पुष्टि नहीं हो सकी। उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सैटेलाइट अंतरिक्ष में छोड़ा गया या नहीं और वह कहां पहुंचा। कारणों का पता लगाने के लिए उपलब्ध डेटा की जांच की जा रही है।”
वहीं, शिक्षा, संस्कृति, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारी जून कोंडो ने इस नाकामी को “बेहद दुखद” बताया। उन्होंने कहा कि सरकार ने कारणों की जांच और रॉकेट की विश्वसनीयता दोबारा स्थापित करने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया है।
यह असफलता H3 रॉकेट कार्यक्रम के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है। H3 ने जापान के पुराने और बेहद सफल H-2A रॉकेट की जगह ली थी। साथ ही, इस घटना से जापान की सैटेलाइट लॉन्च योजनाओं में देरी हो सकती है। इन योजनाओं के तहत जापान स्मार्टफोन, समुद्री नेविगेशन और ड्रोन सेवाओं के लिए अमेरिकी GPS सिस्टम पर निर्भरता कम कर एक स्वतंत्र जियोलोकेशन सिस्टम विकसित करना चाहता है।
गौरतलब है कि मार्च 2023 में H3 की पहली उड़ान के दौरान भी दूसरा स्टेज इंजन चालू नहीं हो सका था। वर्तमान में जापान के पास क्वासी-जेनिथ सैटेलाइट सिस्टम (QZSS) है, जिसमें पांच सैटेलाइट शामिल हैं। यह सिस्टम पहली बार 2018 में शुरू किया गया था। मिचिबिकी-5 इसका छठा सैटेलाइट बनने वाला था। जापान की योजना मार्च 2026 तक सात सैटेलाइट और 2030 के दशक के अंत तक 11 सैटेलाइट का नेटवर्क तैयार करने की है।
