नैनीताल/देहरादून। आवासीय प्रोजेक्ट पूरा होने के बावजूद नियमानुसार रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) के नाम मालिकाना हक ट्रांसफर न करने वाले प्रमोटर्स के खिलाफ अब रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने सख्त रुख अपनाया है। रेरा सदस्य नरेश मठपाल की पीठ ने इस गंभीर मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए प्रदेश के 163 प्रमोटर्स को नोटिस जारी किए हैं। इन प्रमोटर्स के खिलाफ अब रेरा में मुकदमा चलाने की तैयारी की जा रही है।
रेरा अधिनियम के तहत किसी भी आवासीय प्रोजेक्ट के पूर्ण होने और पूर्णता प्रमाणपत्र (Completion Certificate) मिलने के तीन माह के भीतर प्रमोटर को प्रोजेक्ट का मालिकाना हक आरडब्ल्यूए को सौंपना अनिवार्य है। बावजूद इसके, अधिकांश प्रमोटर्स इस नियम का पालन नहीं कर रहे हैं। इसका नतीजा यह है कि धोखाधड़ी के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है।
अक्सर देखा गया है कि प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद लोग उसमें रहना शुरू कर देते हैं और अधिकृत आरडब्ल्यूए का गठन भी हो जाता है, लेकिन इसके बावजूद प्रमोटर द्वारा मालिकाना हक हस्तांतरित नहीं किया जाता। ऐसी स्थिति में कई बार प्रमोटर्स या अन्य जालसाज संपत्तियों को दोबारा बेच देते हैं, जिसकी जानकारी आरडब्ल्यूए को नहीं हो पाती। बाद में मामला सामने आने पर आरडब्ल्यूए को रेरा की शरण लेनी पड़ती है और तब जाकर कार्रवाई होती है।
इन्हीं बढ़ते मामलों को देखते हुए रेरा ने अब स्वतः संज्ञान लिया है। वर्तमान में प्रदेश में 643 आवासीय प्रोजेक्ट रेरा में पंजीकृत हैं। इनमें से 163 प्रोजेक्ट ऐसे हैं जिनका निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन प्रमोटर्स ने अब तक नियमानुसार एसोसिएशन को मालिकाना हक नहीं सौंपा है। इन सभी मामलों में अब वाद दायर किए जाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है, जिसके तहत पहले चरण में नोटिस जारी किए गए हैं।
गौरतलब है कि पहले मालिकाना हक सौंपने के लिए प्रमोटर्स को भारी भरकम स्टांप ड्यूटी चुकानी पड़ती थी। रेरा के प्रयासों से इस समस्या का समाधान करते हुए शासन ने अब इसके लिए मात्र 10 हजार रुपये का एकमुश्त शुल्क निर्धारित किया है। इसके बावजूद कई प्रमोटर्स नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, जिस पर रेरा ने कड़ा रुख अपनाया है।
