देहरादून। राज्य सरकार ने धार्मिक स्थलों के पास मदिरा बिक्री पर नियंत्रण रखने के लिए नई आबकारी नीति 2025 को लागू किया है। इस नीति के तहत, धार्मिक क्षेत्रों के निकटवर्ती मदिरा अनुज्ञापनों को बंद करने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही शराब की बिक्री पर और अधिक कड़ा नियंत्रण किया जाएगा। उप-दुकानों और मैट्रो मदिरा बिक्री व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है।
नई आबकारी नीति में एक महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि यदि किसी दुकान पर एमआरपी से अधिक कीमत ली जाती है, तो उस दुकान का लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। इसके अलावा, डिपार्टमेंटल स्टोर्स पर भी एमआरपी लागू की जाएगी, जिससे उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी।
आबकारी राजस्व में वृद्धि की उम्मीद
राज्य के वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 5060 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य तय किया गया है। पिछले दो वर्षों में राज्य में आबकारी राजस्व में काफी वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 4000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 4038.69 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया, जबकि वित्तीय वर्ष 2024-25 में 4439 करोड़ रुपये का लक्ष्य था और अब तक लगभग 4000 करोड़ रुपये की प्राप्ति हो चुकी है।
वाइनरी इकाइयों को 15 वर्षों तक आबकारी शुल्क में छूट
नई नीति के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में वाइनरी इकाइयों को अगले 15 वर्षों तक आबकारी शुल्क में छूट दी जाएगी। इससे स्थानीय कृषकों और बागवानी क्षेत्र में कार्य करने वालों को आर्थिक लाभ मिलेगा। थोक मदिरा अनुज्ञापन केवल उत्तराखंड निवासियों को जारी किए जाएंगे, जिससे राज्य में आर्थिक अवसर बढ़ेंगे।
स्थानीय कृषि उत्पादों के प्रयोग को बढ़ावा
नई आबकारी नीति में स्थानीय कृषि उत्पादों को डिस्टिलरी (आसवनी इकाइयों) द्वारा प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और उन्हें नए बाजार मिलेंगे। इसके साथ ही मदिरा के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे।
पारदर्शी और निष्पक्ष आवंटन प्रक्रिया
नीति के तहत, दुकानों का आवंटन पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया से किया जाएगा, जिसमें नवीनीकरण, लॉटरी और अधिकतम ऑफर जैसी प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा।
नई आबकारी नीति 2025 का उद्देश्य राज्य में आर्थिक सुदृढ़ीकरण, पारदर्शिता और सामाजिक जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए मदिरा उद्योग के क्षेत्र में सुधार लाना है।