शिमला: हिमाचल प्रदेश में मानसून ने तबाही मचा दी है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (एसईओसी) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 20 जून से अब तक 125 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 215 से अधिक लोग घायल हुए हैं। कई लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं।
प्राकृतिक आपदाओं से मरने वालों की संख्या 70 रही, जबकि बारिश से संबंधित सड़क दुर्घटनाओं में 55 लोगों की जान गई है।अब तक के नुकसान का आकलन 1,235.74 करोड़ रुपये से अधिक किया गया है। इसमें बुनियादी ढांचा, कृषि क्षेत्र और निजी संपत्तियों को भारी क्षति पहुंची है।
जान-माल का भारी नुकसान
राज्य भर में अब तक:
- 500 घर,
- 952 गौशालाएं,
- 241 दुकानें,
- 141 श्रमिक शेड पूरी तरह या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
इसके अलावा, 21,500 मुर्गियों सहित 22,796 पशुधन भी मारे गए हैं।
मंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित
मंडी जिले में 1,076.94 लाख रुपये से अधिक की सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हुआ है। रविवार शाम तक मंडी, कुल्लू और कांगड़ा जिलों की प्रमुख सड़कों सहित 142 सड़कें अवरुद्ध हैं। 26 बिजली ट्रांसफार्मर और 40 जलापूर्ति योजनाएं भी बाधित हो चुकी हैं।
भारी बारिश को लेकर अलर्ट
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने 21 और 22 जुलाई के लिए:
- ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी, सोलन और सिरमौर में नारंगी (ऑरेंज) अलर्ट,
- शिमला, चंबा और कुल्लू में पीला (येलो) अलर्ट जारी किया है।
मौसम विभाग ने भूस्खलन, अचानक बाढ़, जलभराव और नदियों में जलस्तर वृद्धि को लेकर चेतावनी दी है।
पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए चेतावनी
अधिकारियों ने पर्यटकों को ट्रेकिंग से बचने, नदी किनारों और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से दूर रहने की सलाह दी है। प्रभावित क्षेत्रों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत-बचाव अभियान में जुटी हुई हैं। प्रशासन ने कई राहत शिविर स्थापित किए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग-5 और राष्ट्रीय राजमार्ग-21 पर भारी भूस्खलन के बाद अभी भी बहाली का काम जारी है। स्थानीय लोगों से अगले 72 घंटों तक अनावश्यक यात्रा से बचने की अपील की गई है।