नैनीताल। बनभूलपुरा दंगे के मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक, उसके पुत्र अब्दुल मोइद और मोहम्मद जहीर को फिलहाल उत्तराखंड उच्च न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली है। न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए जमानत याचिकाओं पर अगली सुनवाई की तिथि एक माह बाद तय की है।
सरकार की दलील—चार्जशीट दाखिल, सेशन कोर्ट में लगाएं जमानत याचिका
सरकारी पक्ष ने अदालत को अवगत कराया कि आरोपियों के खिलाफ सेशन कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है, ऐसे में उन्हें जमानत के लिए पुनः सेशन कोर्ट का रुख करना चाहिए। सरकार की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जमानत देना उचित नहीं है।
डिफॉल्ट बेल की मांग, समयसीमा पर उठाए सवाल
वहीं, बचाव पक्ष ने कहा कि आरोपियों को डिफॉल्ट बेल का अधिकार दिया जाए, क्योंकि पुलिस द्वारा तय अवधि में चार्जशीट दाखिल नहीं की गई थी। बचाव पक्ष का यह भी कहना है कि इसी मामले में उच्च न्यायालय से अन्य सह-आरोपियों को पहले ही जमानत दी जा चुकी है, ऐसे में समानता के आधार पर मुख्य आरोपियों को भी राहत दी जानी चाहिए।
दंगे में भारी नुकसान, मुख्य साजिशकर्ता पर शिकंजा
गौरतलब है कि बनभूलपुरा में हुए हिंसक दंगे में कई आम नागरिकों और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा था। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने गहन जांच के बाद मुख्य साजिशकर्ता अब्दुल मलिक और उसके सहयोगियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
अब तक इस मामले में 50 से अधिक आरोपियों को हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है, जबकि मुख्य आरोपी और उसके करीबी सहयोगियों की याचिकाएं अब भी विचाराधीन हैं।