देहरादून। उत्तराखंड की धामी सरकार में संभावित कैबिनेट फेरबदल की सुगबुगाहट के बीच सीमांत जिला उत्तरकाशी पहली बार मंत्रिमंडल में जगह पाने की उम्मीद कर रहा है। पिछले 25 वर्षों से यह जिला राज्य सरकार में प्रतिनिधित्व की राह देख रहा है। छह निर्वाचित सरकारों में अब तक उत्तरकाशी से कोई भी मंत्री नहीं बना, जिससे यहां के लोगों में मायूसी रही है। लेकिन इस बार धामी मंत्रिमंडल में पांच मंत्री पद खाली होने से उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं।
राज्य बनने के बाद नहीं मिला प्रतिनिधित्व
अविभाजित उत्तर प्रदेश के दौर में उत्तरकाशी को कैबिनेट में स्थान मिला था, लेकिन उत्तराखंड बनने के बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सरकारों ने इस जिले से किसी को भी मंत्री नहीं बनाया। उत्तरकाशी जिले में तीन विधानसभा सीटें – गंगोत्री, यमुनोत्री और पुरोला हैं, जिनमें से गंगोत्री और पुरोला से भाजपा के विधायक हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की प्राथमिकता से बढ़ी संभावनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उत्तरकाशी को विकास के एजेंडे में प्राथमिकता देने और हाल ही में इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने के चलते, भाजपा कार्यकर्ताओं की उम्मीदें और भी मजबूत हो गई हैं। उत्तरकाशी के लोग अब सरकार से यह आस लगाए बैठे हैं कि इस बार उनके जिले से किसी नेता को कैबिनेट में जगह जरूर मिलेगी।
क्षेत्रीय संतुलन का फार्मूला बनेगा रोड़ा?
भाजपा सरकार में कैबिनेट गठन का आधार संसदीय क्षेत्रों के संतुलन पर निर्भर करता रहा है। उत्तरकाशी, टिहरी और देहरादून का एक हिस्सा टिहरी संसदीय क्षेत्र में आता है, जहां से गणेश जोशी पहले से ही कैबिनेट मंत्री हैं। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि पार्टी उत्तरकाशी को प्रतिनिधित्व देती है या नहीं।
भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह, फैसले का इंतजार
कैबिनेट विस्तार की अटकलों के बीच भाजपा कार्यकर्ता और जनता बेसब्री से फैसले का इंतजार कर रहे हैं। अगर इस बार उत्तरकाशी को प्रतिनिधित्व मिलता है, तो यह ऐतिहासिक क्षण होगा, जो जिले के लिए नए विकास के द्वार खोल सकता है।