नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो में हाल ही में उड़ानों के बड़े पैमाने पर रद्द होने और देरी की घटनाओं की जांच निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। नागरिक उड्डयन नियामक डीजीसीए को सौंपे गए चार सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट ने एयरलाइन की संचालन प्रक्रिया और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सूत्रों के अनुसार, डीजीसीए के संयुक्त महानिदेशक संजय के. ब्रह्माने की अध्यक्षता वाली समिति ने शुक्रवार शाम अपनी रिपोर्ट सौंप दी। जांच का मकसद यह समझना था कि कैसे एक ही दिन में 1,600 से अधिक उड़ानें रद्द हुईं, जिससे यात्रियों को व्यापक परेशानी का सामना करना पड़ा। रिपोर्ट की प्रतियां नागरिक उड्डयन मंत्री और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को भी भेजी गई हैं।
जांच में यह सामने आया कि रद्दीकरण का मुख्य कारण पायलटों के ड्यूटी टाइम से जुड़े एफडीटीएल नियमों का पालन न होना था। डीजीसीए ने पहले ही इन नियमों को चरणबद्ध तरीके से लागू करने के निर्देश दिए थे, लेकिन इंडिगो समय पर क्रू की उपलब्धता का सही अनुमान नहीं लगा सकी। इसके चलते नवंबर के अंत से लगातार उड़ानें रद्द होने लगीं।
डीजीसीए ने इसके बाद इंडिगो को शीतकालीन उड़ान कार्यक्रम में 10% कटौती का आदेश दिया और एयरलाइन के सीईओ और सीओओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया। समीक्षा बैठक में इंडिगो ने स्वीकार किया कि नए नियमों के तहत क्रू की जरूरतों का आकलन करने में चूक हुई, जो बड़े पैमाने पर रद्दीकरण की वजह बनी।
नियामक ने कहा कि रोजाना 170-200 उड़ानों के रद्द होने से यात्रियों की सुविधा और नेटवर्क की विश्वसनीयता पर गंभीर असर पड़ा। नवंबर में इंडिगो की उड़ान रद्दीकरण दर अन्य एयरलाइनों की तुलना में सबसे अधिक रही। अब डीजीसीए रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर एयरलाइन के खिलाफ संभावित दंडात्मक और सुधारात्मक कार्रवाई की जाएगी।
