टोरंटो। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा एच-1बी वीजा की फीस में भारी बढ़ोतरी के बाद कनाडा ने विदेशी कुशल पेशेवरों के लिए बड़ा कदम उठाया है। प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने अपने ताज़ा बजट में घोषणा की है कि कनाडा उच्च प्रशिक्षित अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं और तकनीकी विशेषज्ञों को आकर्षित करने के लिए विशेष योजना शुरू करेगा।
अमेरिका में एच-1बी वीजा की फीस अब करीब एक लाख डॉलर सालाना कर दी गई है, जिससे हजारों भारतीय पेशेवरों को झटका लगा है — क्योंकि इस वीजा के लाभार्थियों में लगभग 70 प्रतिशत भारतीय हैं। ऐसे में कनाडा का यह कदम उनके लिए बड़ी राहत साबित हो सकता है।
नए बजट में कनाडाई सरकार ने 1.7 अरब डॉलर का प्रावधान किया है, जिसके तहत 1,000 से अधिक उच्च कौशल वाले शोधकर्ताओं को रोजगार के अवसर दिए जाएंगे। ब्लूमबर्ग के अनुसार, बजट दस्तावेज़ में कहा गया है — “ये शोधकर्ता हमारी वैश्विक प्रतिस्पर्धा को मजबूत करने और भविष्य की अर्थव्यवस्था के निर्माण में अहम भूमिका निभाएंगे।”
इसके साथ ही, कनाडा ने एच-1बी वीजा धारकों के लिए एक ‘एक्सेलेरेटेड पाथवे’ यानी तेज़ प्रक्रिया मार्ग की भी घोषणा की है, जिससे उन्हें कनाडा में काम और स्थायी निवास दोनों के अवसर शीघ्र मिल सकेंगे।
कनाडा सरकार की नई आप्रवासन नीति के तहत 2026 से 2028 के बीच हर साल करीब 3.8 लाख स्थायी निवासियों को देश में लाने की योजना है। हालांकि, इसी अवधि में अस्थायी निवासियों की संख्या में भारी कटौती की जाएगी — अब 2026 में यह संख्या घटाकर 1.55 लाख, और 2027-28 में 1.50 लाख कर दी गई है।
अमेरिका जहां अपनी वीजा नीति को लगातार सख्त कर रहा है, वहीं कनाडा अब खुद को कुशल प्रवासियों और शोधकर्ताओं के लिए नया आकर्षक ठिकाना बना रहा है।
