25 साल बाद गिरफ्तार हुआ उत्तराखंड का पहला इनामी अपराधी सुरेश शर्मा

खबर शेयर करें

झारखंड के जमशेदपुर से एसटीएफ ने पकड़ा, हत्या के बाद से था फरार

देहरादून। उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने 25 साल से फरार चल रहे राज्य के पहले इनामी अपराधी सुरेश शर्मा को झारखंड के जमशेदपुर से गिरफ्तार कर लिया है। चमोली में शासकीय अधिवक्ता बालकृष्ण भट्ट की हत्या के आरोपी सुरेश शर्मा पर दो लाख रुपये का इनाम घोषित था। डीजीपी ने इस सफलता पर टीम को इनाम देने की घोषणा की है।

1999 में की थी शासकीय अधिवक्ता की हत्या
सुरेश शर्मा, जो ऋषिकेश का रहने वाला है, 1999 में चमोली में शासकीय अधिवक्ता बालकृष्ण भट्ट की हत्या के बाद से फरार था। उस समय शर्मा और भट्ट के बीच रेस्टोरेंट से जुड़ा विवाद चल रहा था। इसी विवाद के चलते सुरेश ने 28 अप्रैल 1999 को चमोली में सरेआम चाकू मारकर उनकी हत्या कर दी थी। हत्या के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, लेकिन 40 दिन बाद स्थानीय अदालत से उसे जमानत मिल गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत खारिज कर दी, लेकिन तब तक सुरेश फरार हो चुका था।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड में आज भी बदला-बदला रहेगा मौसम, कई जिलों में तेज हवाएं और भारी बारिश की चेतावनी

देशभर में छिपता रहा आरोपी
पुलिस को चकमा देते हुए सुरेश ने फरारी के दौरान महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और झारखंड में कई जगह अपना ठिकाना बनाया। उसने नाम और पहचान बदलकर कभी ठेली पर खाना बनाया, तो कभी स्क्रैप का कारोबार शुरू किया।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड: केदारनाथ यात्रा मार्ग पर दो श्रद्धालुओं की मौत, हार्ट अटैक की आशंका

फिंगरप्रिंट और तकनीक से हुई गिरफ्तारी
एसटीएफ की टीम ने सुरेश की तलाश में कई महीनों तक अभियान चलाया। उसकी पहचान सुनिश्चित करने के लिए चमोली जेल से लिए गए फिंगरप्रिंट्स का इस्तेमाल किया गया। टीम को सूचना मिली कि सुरेश जमशेदपुर में एक ऑफिस के काम से गया है। 23 जनवरी को उसे वहां से गिरफ्तार कर लिया गया।

यह भी पढ़ें 👉  बारिश का कहर: बुआखाल-रामनगर एनएच 121 पर कलगड़ी पुल ढहा, दो ब्लॉकों का संपर्क टूटा

इनामी अपराधी की गिरफ्तारी पर मिली सराहना
एसटीएफ की इस बड़ी कामयाबी पर पुलिस विभाग और डीजीपी ने टीम को बधाई दी है। आईजी कानून व्यवस्था नीलेश आनंद भरने ने बताया कि सुरेश शर्मा की गिरफ्तारी के लिए आधुनिक तकनीक और टीमवर्क का इस्तेमाल किया गया। उत्तराखंड पुलिस की यह सफलता न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।

You cannot copy content of this page