न्यूयॉर्क। अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों के खिलाफ जन आक्रोश एक बार फिर सड़कों पर उतर आया। शनिवार को देशभर के सभी 50 राज्यों में हजारों लोगों ने ‘50501 आंदोलन’ के तहत विरोध प्रदर्शन किए। इस आंदोलन का नाम 50 राज्य, 50 प्रदर्शन, 1 आंदोलन—से प्रेरित है।
प्रदर्शनकारियों ने ट्रम्प की टैरिफ वॉर नीति, अप्रवासी विरोधी रुख और सरकारी नौकरियों में हो रही भारी छंटनी के खिलाफ जोरदार नारेबाज़ी की। राजधानी वॉशिंगटन डीसी में व्हाइट हाउस, और देशभर में टेस्ला शोरूमों का घेराव किया गया।
मस्क पर भी फूटा गुस्सा
प्रदर्शनकारियों का गुस्सा इस बार उद्योगपति एलन मस्क पर भी फूटा, जिनकी दक्षता टीम पर सरकारी विभागों में छंटनी का आरोप लगाया जा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक हजारों सरकारी कर्मचारी अपनी नौकरियों से हाथ धो चुके हैं।
‘नागरिक अधिकारों को कुचलने का प्रयास’
आंदोलनकारियों का आरोप है कि ट्रम्प न केवल नागरिक अधिकारों, बल्कि कानून के शासन को भी कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। इससे पहले भी 5 अप्रैल को इस तरह का राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन देखने को मिला था।
जनता की जेब पर बोझ
ट्रम्प की टैरिफ वॉर नीति के चलते आयातित वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि हुई है, जिससे आम अमेरिकी उपभोक्ता पर सीधा असर पड़ा है। लोग इन नीतियों को जनविरोधी और विकासविरोधी बता रहे हैं।
गिरती लोकप्रियता, गैलप सर्वे का संकेत
इस बीच गैलप एजेंसी के ताजा सर्वे में ट्रम्प की लोकप्रियता में गिरावट दर्ज की गई है। उनके मौजूदा कार्यकाल के शुरुआती तीन महीनों में केवल 45% अमेरिकी मतदाता उनके कार्य से संतुष्ट हैं। जबकि उनके पहले कार्यकाल में यह आंकड़ा 41% था।
विशेषज्ञों के मुताबिक, 1952 से 2020 तक सभी राष्ट्रपतियों की शुरुआती औसत रेटिंग 60% रही है, जो ट्रम्प की तुलना में काफी अधिक है। ट्रम्प ने जब मौजूदा कार्यकाल की शुरुआत की थी, तब उनकी रेटिंग 47% थी, जो अब और नीचे आ गई है।