हनुमानगढ़ में एथेनॉल फैक्ट्री को लेकर बवाल, गुरुद्वारे में जुटी भीड़-इंटरनेट बंद, तनाव गहराया

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राजस्थान (हनुमानगढ़)। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में इथेनॉल फैक्ट्री को लेकर चल रहा विवाद अब गंभीर मोड़ पर पहुंच गया है। टिब्बी क्षेत्र में बुधवार को भड़की हिंसा के बाद हालात गुरुवार सुबह भी सामान्य नहीं हुए। प्रदर्शन स्थल के पास स्थित गुरुद्वारे में बड़ी संख्या में किसान जुट गए हैं, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ने की आशंका है। एहतियातन टिब्बी क्षेत्र में इंटरनेट सेवाएं आज भी बंद रखी गई हैं। पुलिस-प्रशासन पूरी स्थिति पर कड़ी नजर बनाए हुए है।

बुधवार को बेकाबू हुआ आंदोलन

राठीखेड़ा गांव के पास चक पांच आरके में निर्माणाधीन इथेनॉल फैक्ट्री के खिलाफ पिछले 15 माह से चल रहा शांतिपूर्ण आंदोलन बीते बुधवार को अचानक हिंसक हो गया। एसडीएम कार्यालय के बाहर हुई महापंचायत में किसानों ने चेतावनी दी थी कि दोपहर 2 बजे तक लिखित आश्वासन न मिलने पर वे फैक्ट्री की ओर कूच करेंगे। लेकिन ठोस जवाब न मिलने पर हजारों की भीड़ आक्रोशित हो गई और बैरिकेडिंग तोड़कर फैक्ट्री परिसर में घुस पड़ी।

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फैक्ट्री में आगजनी और भीषण तोड़फोड़

भीड़ ने ट्रैक्टरों की मदद से फैक्ट्री की दीवारें गिरा दीं। कार्यालयनुमा ढांचों, मशीनरी और परिसर में खड़े करीब 14 वाहनों में आग लगा दी गई। कई स्थानों पर भारी तोड़फोड़ की गई।

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पुलिस और प्रदर्शनकारियों में तीखी झड़प

भीड़ को रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और हल्का बल प्रयोग किया। जवाब में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर ईंट-पत्थर बरसाए। झड़प में 36 लोग घायल हुए—इनमें 24 पुलिसकर्मी और 12 प्रदर्शनकारी शामिल हैं। तीन पुलिसकर्मियों की हालत गंभीर बताई जा रही है।

वहीं, स्थानीय विधायक अभिमन्यु पूनिया भी सिर में चोट लगने से घायल हो गए और उन्हें हनुमानगढ़ जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।

गुरुद्वारे में जुटने लगी भीड़, तनाव जारी

आज सुबह हालात फिर तनावपूर्ण हो गए, क्योंकि किसान बड़ी संख्या में पास के गुरुद्वारे में जमा होने लगे। प्रशासन को आशंका है कि यह भीड़ दोबारा फैक्ट्री की ओर बढ़ सकती है।

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प्रशासन सख्त, इंटरनेट आज भी बंद

संभावित तनाव को देखते हुए टिब्बी में इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं। पुलिस बल बढ़ा दिया गया है और पूरे क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं।

किसानों की मांगें

  • फैक्ट्री का निर्माण तत्काल रोका जाए, किसानों की सहमति के बिना आगे कोई काम न हो, पर्यावरण और जमीन अधिग्रहण संबंधी मुद्दों पर विस्तृत बातचीत हो।

फिलहाल स्थिति नाजुक बनी हुई है और प्रशासन शांति बनाए रखने के प्रयास में जुटा हुआ है।

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