नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच एक बार फिर अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विवादित बयान देते हुए दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम में अमेरिकी भूमिका का दावा किया है। सऊदी अरब में आयोजित एक यूएस-सऊदी इन्वेस्टमेंट फोरम में ट्रंप ने कहा कि उनके प्रशासन ने संभावित परमाणु संघर्ष को टालने और संघर्ष विराम कराने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि भारत ने इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए साफ कहा है कि दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम पूरी तरह सैन्य स्तर पर हुई द्विपक्षीय बातचीत का परिणाम था।
सऊदी फोरम में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, टेस्ला प्रमुख एलन मस्क और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो जैसे दिग्गज मौजूद थे। अपने भाषण में ट्रंप ने कहा, “हमने व्यापार को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। न्यूक्लियर मिसाइल्स का नहीं, बल्कि व्यापार का।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान के नेता “ताकतवर और समझदार” हैं और उम्मीद जताई कि यह शांति बनी रहेगी।
भारत ने ट्रंप के इन बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि संघर्ष विराम का समझौता दोनों देशों के DGMOs की सीधी बातचीत से संभव हुआ, इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं रही। भारत ने दोहराया कि पाकिस्तान से बातचीत केवल आतंकवाद और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर ही होगी।
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की हो। इससे पहले भी वे कई बार कश्मीर मुद्दे सहित अन्य विवादों पर ‘मध्यस्थता’ की इच्छा जता चुके हैं, जिन्हें भारत ने हमेशा ठुकराया है।
अपने संबोधन में ट्रंप ने मजाकिया लहजे में कहा, “भारत-पाकिस्तान अब ठीक रह रहे हैं, क्यों न उन्हें डिनर पर भेजा जाए?” इस टिप्पणी पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन भारत के रुख में स्पष्टता बरकरार रही—किसी तीसरे पक्ष की भूमिका स्वीकार्य नहीं।