वाशिंगटन। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन के विवादित कार्यकारी आदेश के खिलाफ देशव्यापी स्थगन (नेशनवाइड इंजेक्शन) जारी करने के जिला न्यायाधीशों के अधिकार को खारिज कर दिया है। इस फैसले को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘संविधान की बड़ी जीत’ बताया है। कोर्ट ने 6-3 के बहुमत से यह निर्णय सुनाया, जिससे निचली अदालतों की शक्तियों में कटौती हुई है।
फैसले के पीछे विचारधारा में स्पष्ट मतभेद
न्यायमूर्ति एमी कोनी बैरेट ने बहुमत की राय में लिखा, “फेडरल कोर्ट कार्यकारी शाखा की सामान्य निगरानी संस्था नहीं है। जब कोई अवैध कार्य होता है, तो अदालतें केवल अपने क्षेत्राधिकार के भीतर ही दखल दे सकती हैं।”
हालांकि, तीन उदारवादी जजों ने फैसले पर असहमति जताई। जस्टिस सोनिया सोटोमयोर ने कड़े शब्दों में कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका में जन्म लेने वाले और इसके कानूनों के अधीन रहने वाले सभी बच्चे नागरिक हैं। यह सिद्धांत संविधान के जन्म के समय से लागू है।”
ट्रंप प्रशासन की प्रतिक्रिया
पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने इस फैसले को ‘ट्रुथ’ सोशल मीडिया मंच पर साझा करते हुए “संविधान की ऐतिहासिक जीत” करार दिया। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने ‘एक्स’ पर लिखा, “यह सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला है, जो हास्यास्पद देशव्यापी स्थगनों की प्रक्रिया पर रोक लगाता है।”
अमेरिकी अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी ने कहा कि न्याय विभाग ट्रंप की नीतियों और उन्हें लागू करने के अधिकार का पूरा समर्थन करेगा।
नए कानूनी प्रयास शुरू
इस फैसले के बाद, आदेश को चुनौती देने वाले संगठनों ने एक वर्ग-कार्रवाई (क्लास एक्शन) मुकदमा और अस्थायी प्रतिबंधात्मक आदेश (TRO) की याचिका दायर की है। इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्स्टीट्यूशनल एडवोकेसी एंड प्रोटेक्शन के वरिष्ठ वकील विलियम पॉवेल ने कहा, “अब हमें विभिन्न प्रक्रियाओं के जरिए इस आदेश को रद्द कराने की दिशा में आगे बढ़ना होगा।”
अप्रवासी समुदाय में चिंता
‘एसाइलम सीकर एडवोकेसी प्रोजेक्ट’ की सह-संस्थापक कोंचिता क्रूज ने कहा, “यह अप्रवासी परिवारों के लिए बेहद भ्रम की स्थिति है। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि यह आदेश किस तरह से उनके भविष्य को प्रभावित करेगा।”
लैटिना समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन ‘नेशनल लैटिना इंस्टीट्यूट फॉर रिप्रोडक्टिव जस्टिस’ ने कहा, “हम पीछे नहीं हटेंगे। हम न्याय और सम्मान के लिए संघर्ष जारी रखेंगे।”
विवादित आदेश की पृष्ठभूमि
20 जनवरी को पदभार ग्रहण करते ही ट्रंप ने उस कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत 19 फरवरी के बाद जन्म लेने वाले उन बच्चों को नागरिकता नहीं दी जाएगी, जिनके माता-पिता अमेरिकी नागरिक या स्थायी निवासी नहीं हैं। इस आदेश के खिलाफ 20 से अधिक राज्यों और नागरिक अधिकार संगठनों ने तुरंत मुकदमा दायर किया, इसे संविधान के खिलाफ बताया गया।