धोखे से मतांतरण अवैध, समझौते पर भी नहीं खत्म होगा केस: हाई कोर्ट

खबर शेयर करें

प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि मतांतरण केवल ईमानदारी से विश्वास और हृदय परिवर्तन के आधार पर ही वैध माना जा सकता है। धोखे या दबाव में कराया गया मतांतरण न केवल अवैध है, बल्कि यह एक गंभीर आपराधिक कृत्य भी है। ऐसे मामलों में भले ही पक्षों के बीच समझौता हो जाए, लेकिन केस को खत्म नहीं किया जा सकता।

न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की एकल पीठ ने यह निर्णय रामपुर निवासी तौफीक अहमद की याचिका को खारिज करते हुए दिया। याची पर हिंदू लड़की को धोखे से प्रेमजाल में फंसाकर मतांतरण और दुष्कर्म का आरोप है।

यह भी पढ़ें 👉  राज्य स्थापना के 25 वर्ष: रजत जयंती पर आज से शुरू होगा विधानसभा का विशेष सत्र, राष्ट्रपति मुर्मू देंगी अभिभाषण

छह माह तक बंधक बनाकर रखा

पीड़िता के अनुसार, आरोपी ने हिंदू नाम रखकर सोशल मीडिया पर दोस्ती की, फिर शादी का झांसा देकर छह माह तक बंधक बनाए रखा। बाद में जब पीड़िता को आरोपी की असली पहचान का पता चला कि वह मुस्लिम है, तो किसी तरह भागकर उसने पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई। अपने बयान में भी उसने आरोपों की पुष्टि की।

यह भी पढ़ें 👉  नैनीताल: 15 मार्च को होगा होली (छलड़ी) का स्थानीय अवकाश, आदेश जारी

कोर्ट ने समझौते से किया इनकार

पुलिस द्वारा चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है, लेकिन आरोपी ने समझौते के आधार पर केस खत्म करने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि इस्लाम में मतांतरण तभी वास्तविक माना जा सकता है, जब वह वयस्क, स्वस्थ मस्तिष्क और पूरी तरह स्वेच्छा से किया गया हो। कोर्ट ने इसे समाज और महिला की गरिमा के खिलाफ अपराध मानते हुए, आईपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म) समेत अन्य आरोपों को रद्द करने से इनकार कर दिया।

यह भी पढ़ें 👉  अमेरिकी टैरिफ से भारत को फायदा, इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को मिलेगा बढ़ावा

यह फैसला जबरन और धोखे से मतांतरण के मामलों पर कड़ा संदेश देता है और साफ करता है कि ऐसे अपराधों में समझौते के आधार पर राहत नहीं दी जा सकती।

You cannot copy content of this page