नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने लंबे समय तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के बाद साथी पर बलात्कार का आरोप लगाने को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि यदि कोई महिला 16 साल तक सहमति से संबंध में रहती है, तो वह बाद में इसे जबरदस्ती का मामला नहीं बना सकती।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने…
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी और महिला के बीच 16 वर्षों तक संबंध रहा, जो यह दर्शाता है कि शारीरिक संबंध सहमति से बने थे। अदालत ने इसे रिश्तों में खटास आने का मामला बताते हुए पुरुष को आपराधिक कार्यवाही से राहत दे दी।
महिला का क्या था तर्क?
महिला ने अदालत में दलील दी कि आरोपी ने शादी का वादा कर उन्हें फंसाया, लेकिन अदालत ने यह मानने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि इतने लंबे समय तक संबंध बनाए रखना यह साबित करता है कि यह आपसी सहमति से था, न कि किसी धोखे का मामला।
फैसले के मायने
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से स्पष्ट हुआ कि लंबे समय तक सहमति से बने लिव-इन रिश्ते के बाद बलात्कार का आरोप लगाना न्यायसंगत नहीं होगा। अदालत ने कहा कि यदि रिश्ते में खटास आती है, तो इसे कानूनी हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।