मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश, एक लाख लोगों को मिलेगा संस्कृत संवाद का प्रशिक्षण
देहरादून। उत्तराखंड सरकार राज्य की दूसरी राजभाषा संस्कृत के प्रचार-प्रसार और संवर्द्धन के लिए व्यापक योजना पर काम कर रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की सामान्य बैठक में यज्ञ, कर्मकांड और वेदों में प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम (सर्टिफिकेट कोर्स) शुरू करने का निर्णय लिया गया। साथ ही संस्कृत अध्ययनरत युवाओं को 16 संस्कारों का व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
राज्य सचिवालय में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड ऋषि-मुनियों, योग, आयुष और संस्कृत की भूमि रही है। संस्कृत को गति देने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में वाद-विवाद, निबंध लेखन और श्लोक प्रतियोगिताएं कराई जाएंगी। उन्होंने सभी जिलों में संस्कृत संवर्द्धन के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने और सरकारी कार्यालयों की नाम पट्टिकाएं संस्कृत में भी लगाने के निर्देश दिए।
सीएम धामी ने अन्य राज्यों में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए अपनाई गई श्रेष्ठ पद्धतियों का अध्ययन कर उत्तराखंड में लागू करने की बात भी कही। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि संस्कृत भाषा में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को प्रतिवर्ष सम्मान राशि से सम्मानित किया जाएगा।
संस्कृत को आम बोलचाल की भाषा बनाने का लक्ष्य
संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार ने जानकारी दी कि संस्कृत को आमजन की भाषा बनाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से एक लाख लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही प्रदेश में वेद अध्ययन केंद्र स्थापित किए जाएंगे, संस्कृत विद्यालयों को पुरस्कृत किया जाएगा और समसामयिक विषयों पर लघु फिल्म प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएंगी।
राज्य में संस्कृत शिक्षा को सशक्त करने के लिए सम्मेलन भी आयोजित किए जाएंगे, जिनमें कार्यक्रमों व गतिविधियों से जुड़ी जानकारियों का आदान-प्रदान किया जाएगा। बैठक में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गए लोगों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।
छात्रवृत्ति और प्रोत्साहन योजनाएं होंगी लागू
संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि वर्तमान में प्रत्येक जिले के एक गांव को संस्कृत ग्राम घोषित किया गया है, जिसे आगे चलकर ब्लॉक स्तर तक विस्तारित किया जाएगा। उन्होंने संस्कृत छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजना और पुजारियों के लिए प्रोत्साहन योजना शुरू करने का सुझाव दिया।
बैठक में समिति के सदस्यों ने यह भी सुझाव दिया कि प्रतियोगी परीक्षाओं में संस्कृत विषय को शामिल किया जाए और संस्कृत में शोध को प्रोत्साहित किया जाए।